Friday, December 26, 2008

Why`???

Why do you hope anything from someone?

Why someone, whom you trust most and to whom you look for support, never lies true to your expectations?

Why someone, whom you can never see upset, is always busy when you need him/her the most?



Why someone, whom you are always ready to hear, doesn't give you his/her ears when you want to talk to them?

Why???

Sunday, December 21, 2008

सपना ...!!!!!!!


हर बार उँगलियों को छू के ;
हाथ से फिसलता सपना;


पास आके कोसो दूर
निकल जाने वाला सपना;
उम्मीद की हर डोर
हर बीते दिन पे
कमजोर बनने वाला सपना;


फिर भी हर नए दौर में
नई रोशनी देता सपना ..


इन आखों में सजता ये सपना;
जिंदगी को नया रूप रंग देता,
जीने के लिए एक मकसद देता,
फिर से टूटने के लिए
उभरता एक और नया सपना !!


पलक

Wednesday, December 17, 2008


है अफताब उसमें ऐसा
जलना ज़मीन को पड़ता है
नशा तो उनकी बातों मैं होता है
तड़पना इस दिल को पढता है

यह तेरी ही बातों का कसूर है
मैं अकेली तोह गुनेगार नही
यह तेरी ही अदाओं का सुरूर है
यह इश्क कसूरवार तोह नही

Tuesday, December 16, 2008

ये गज़ले ...!!!!!


उठी जो दिल मैं एक आह,
मेरे जज्बो के गवाह यह ग़ज़लें,
कितनी तमन्ना से लिखी मैंने,
तुमसे मिलने की चाह ग़ज़लें,
कभी मेरे आंसू पोछती ,
ज़माने की नफरत और बेरूखी से,
मुझे दिलाती पनाह ग़ज़लें,
तुम्हारी गोद मैं हो सर मेरा,
है ऐसी लम्हों की चाह ग़ज़लें,

दिलाएंगी मकाम यह मेरा.....यह फ़िर करेंगे मुझे तबाह
यह गज़लें .....

Saturday, December 13, 2008

Tides Of Emotions


रंग मैंने देखे नही...
तेरी तस्वीर की बात कुछ और है...
एक गूँज जो कानो मैं आज भी गूंजती है...
इकरार की बात कुछ और है...
जीवन का सूरज डूबे तो क्या...
अंधेरे में चाँदनी की बात कुछ और है...
दुःख दर्द का मुझे मालूम ना था...
आँखों आसू बनके छाए हो तुम,
यह बात कुछ और है...
रेत पे लिखा एक नाम तो क्या...
हवा की मुझसे दुश्मनी थी,
यह बात कुछ और है...
दिन-दहाड़े किसे ढूँढती हैं...
आँखों मैं छाए हो बस तुम
यह बात कुछ और है...

पलक

Thursday, December 11, 2008

Missing U...!


यादों को आपकी लम्हा बना दिया करते हैं हम
उस एहसास को यूँ सहला लिया करते हैं हम
एक अरसे से आपकी इबादत में खोये थे हम कही
अब हर खुशी में आपको पा लिया करते हैं हम
कैसे करे शिकायत हम आपकी
की कभी गौर हम पर भी फरमा लिया कीजिये
की आप की बेरुखी को भी
आपका अंदाज़ मान लिया करते हैं हम ...

पलक




Wednesday, December 10, 2008

कोरे कागज़ की कहानी ...!

कुछ अनकही बातों से …
बयान कर जाते है…
कुछ दिल से नगमे प्यार के गुन गुनते हैं…
क्या कहे कोरा कागज़ कभी…
दर्द तो उसमे भी होता हैं…
इज़हार ना करे कभी…
की जलना उसको भी होता है
कही नही कभी किसीसे दास्तान अपनी
की दूसरों के ज़ज्बात ही वोह कहता है…
कितना कोमल है… कितना मासूम… है
सब के सपनो को आकर देता हैं…
लफ्जों को उसका आधिकार देता है…
सुनता हैं सभी की कहानी हमेशा
अपना किस्सा कभी ना किसी से कहता हैं…
क्यूंकि खामोशी का इज़हार, कभी किसी ने कहा देखा है…
की कोरे कागज़ की है ये कहानी अनसुनी ......
पलक

Monday, December 8, 2008

ये एहसास न था


कागज़ पर फिर शब्दों की कुछ लकीरें हम खिंच दिए
वो लकीरें किसकी के लिए यादों की सरहद बन जायेगी ये एहसास न था…
महसूस किया है इक ऐसा भी रिश्ता
जो नाम से आगे निकल गया
मालूम पड़ा जब लोगो को
दुनिया ने उसको कुचल दिया
वो रिश्ता धीरे धीरे से दुनिया से ओझल होने लगा
दिल में तो मगर वो तबसे ही नासूर क जैसे पलने लगा
हमारा घाव उन्हें दर्द न दे सो घाव हम अन्दर ही दबा लिए
वो घाव ही फिर हमारे जीने की वजह बन जायेगा, ये एहसास न था…

वो घाव जो दबा क रक्खा था
हम मरहम उसका बना लिए
फिर हलके हलके मलकर उसको
चद्दर के तले हम छुपा लिए
वो मरहम धीरे धीरे से, चद्दर में ऐसे घुलने लगा
वो घाव तो अक्खिर रूझ गया, चद्दर का रंग कुछ उड़ने लगा
गौर से उसको देखा तो फिर, ख़ुद ही से हम मुकर लिए
एक घाव मिटने वाला मरहम, चद्दर पर दाग सा बन जायेगा ये एहसास न था…

दिल का बोझ हल्का करने हम कलम तोह उठा दिए
वही कलम का तेज़ रुख किसीके दिल पर कटारी बन जाएगा ये एहसास न था

Tuesday, November 25, 2008

Tujh Mein Rab Dikhta...

Na Kuch Poocha, Na Kuch Manga
Tune Dil Se Diya Jo Diya
Na Kuch Bola, Na Kuch Tola
Muskura Ke Diya Jo Diya
Tu Hi Dhoop, Tu Hi Chau
Tu Hi Apna Paraya
Aur Kuch Na Janu, Bas Itna Hi Janu
Tujh Mein Rab Dikhta Hai, Yaara Mein Kya karu


Sajde Sar Jhukta Hai, Yaara Mein Kya Karun
Tujh Mein Rab Dikhta Hai, Yaara Mein Kya Karun

यादें ...


यादें ... हकीकत से हसीं होती है ,
ये जो तेरे खयालो से सजी होती हैं ,
कभी तुम ख़ुद को मेरी नजर से देखो ,
मेरी हस्ती, मेरा एतबार.. सब तुज से ही तो है ,
तू जो आता है.. चला जाता हैं, याद आता है ..
ये जिन्दगी ..तुज पे सदके जीना सिखा दिया...
वरना कुछ और गुजर जाती ख़ुद से बेखबर ...
जो तेरे साथ न गुजरा होता ....

पलक

Saturday, November 15, 2008

रहनुमाई

कसम हैं जो..उस ने कसम निभाई हो
चोट फूलो से कभी .. पथ्हरों ने खाई है
मत पूछिए..अंजामे रहगुजर ..
जब की दुश्मनो की रहनुमाई हो..!!

Friday, November 14, 2008

बस इतना ही तो चाहा था .....


बस इतना ही तो चाहा था .....
तेरे आँचल में मैं सो जाऊँ....
बस इतना ही तो सोचा था...
तेरी आँखों में बस जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे सपनो में मैं खो जाऊँ....बस इतना ही तो सोचा था
तेरे गीतों के बोल में बन जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे लबों की मुस्कान मैं बन जाऊँ ....
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे अश्को में मैं घुल जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरी हर सांस में मैं मिल जाऊँ...
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे हर सपने को साकार मैं कर पाऊं...
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....

one of my favourite poem from " meri Poems" so i post here...

jis ne bhi likhi hai bahut sunder likhi hai ....

Wednesday, November 12, 2008


यूँ जमाने मैं क्या नही होता,
बस तू ही मेहरबा नही होता ,


वो ही मिलना , वो ही हसना , वो ही बातें करना ,
दिन मैं कुछ भी नया नही होता ,


यूँ तो सिर्फ़ होती हैं तुजे सारे जमाने की ख़बर ,
सिर्फ़ इस दिल का पता नही होता ,


जुकती पलके तेरी चाहत की ख़बर देती हैं ,
इश्क फ़िर क्यों जावा नही होता ,


कहना ग़र मुस्किल हैं लब से, तो कोई बात नही ,
आखों से क्या क्या बयां नही होता ,


ऐसी देरी भी मुनासिब नही उल्फत के खेल मैं ,
वक्त का कुछ गुमा नही होता .....!!!!!!!!!!


पलक

Monday, November 10, 2008

Kaise batau ...!!!!


Kaise batau main tumhe,
ke tum mere liye kaun ho?

mere mann tum ho,
mere meet tum ho,
mere chehare pe jo muskurahat lati ho,
mere liye woh geet tum ho...

mera samay tum ho,
mera theharao tum ho
meri raah tum ho,
meri manzil tum ho...

mera sagar tum ho,
mera sahil tum ho,
jo zindagi ki saari thakaan mita de,
mere liye woh nazara tum ho...

ab kaise batau main tumhe,
ke tum mere liye kaun ho...

meri baatein tum ho,
meri khmoshi tum ho,
meri muskaan tum ho,
mere ansun tum ho...

mera hosh tum ho,
meri bekhudi tum ho,
meri mehfil tum ho,
meri tanhaee tum ho,
mera khwab tum ho,
is dil ka armaan tum ho...

meri saanse tum ho,
meri ankhen tum ho,
mera dil tum ho,
meri dhadkan tum ho...

an main tumhe kaise batau,
ke tum mere liye kaun ho?
meri to shuruwaat bhi tum ho...
aur mera anth bhi.....

Saturday, November 8, 2008

वो लड़की कितनी भोली थी...


क्या चेहरा था, क्या आखे थी ....
क्या मासूम सी बोली थी ..
वो लड़की कितनी भोली थी .....
मानो ताज़ा फूल खिला हो ,
जब उसने पलके उठाई थी ,
बुलबुल जैसे चेह्का करती , कलियों जैसे मुस्काती वो ,
आखों मै दीपक से जलते, खुशियों की रंगोली वो..
जाने क्या क्या वो बाते करती, जाने क्यों वों शर्मा जाती ,
"तुम मुझे प्यारे हो " कह कर कितना वो शरमाई थी ,
मैने कहा दुनिया वालो के तिरो से बचना ...
"मुजपर क्यों कोई करेगा वार..? " हस्ते हस्ते वो बोली थी ..
एक दिन एक मदमस्त नजर ने उसका हसना छीन लिया ,
फूल तुम्हारा हो गया धूल रोते रोते वो बोली थी ..
मैंने कहा सिंदूर है तुम्हारी हसी की चाबी..
वो रोते रोते हस पड़ी थी ......
वो लड़की कितनी भोली थी ... वो लड़की कितनी भोली थी...



पलक

Thursday, November 6, 2008

बादल और चाँद ....!


चाँद की चाहत मैं देखो आवारा बदल हुआ
दो नैनो की चांदनी से बेचारा घायल हुआ

चाँद को जी भर के देखा जब उस ने पहली बार
ताकता ही रह गया दिल उस का कायल हुआ

तारों का आचल समेटे चाँद जब उठ कर चला
साज़ - ऐ - धड़कन लेके दिल पैरों की पायल हुआ

मुस्कुरा के चाँद ने जब मुडके देखा एक नजर
बदल की हालत न पूछों वो तो बस पागल हुआ.....

पलक

Wednesday, November 5, 2008

मुझे प्यार हुआ जाता है ......!!!!

रात दिन चेहरा तेरा आखों मैं जगमगाता हैं ,
सोचती हूँ क्या मुझे प्यार हुआ जाता हैं,
जब कभी नजरें मेरी मिलाती हैं तेरी नजरों से ,
जाने क्या बात है दिल खूब मुस्कुराता हैं,
मेरा है शौक युही तनहा - तनहा रहना ,
दिल मगर संग तेरे महफिल जमता हैं ,
ऐसा कुछ है तुज मैं .. ऐसा कुछ हैं मुज मैं,
जो मुझे तेरी तरफ़ बाध्य लिए जाता हैं,
ऐसे बेताबी का और क्या मतलब हैं,
हम हर रोज तेरे दर पर चले आते है ..

हां...! ये सच हैं की मुझे प्यार हुआ जाता है ......!!!!


पलक

Monday, November 3, 2008

मिलन अब के .......

नया है चाँद , सितारे नए है , रात नई है
मेरी आखों मैं सजी ख्वाबों की बारात नई हैं
एक जमाने के बाद आज मिलेगे हम से
जाने क्या रंग दिखायेगी मुलाकात नई
पहले मिलते थे तो देते थे एक हसीं गुलाब हमें,
देखिये लाते है क्या आज वो सोगात नई
ना गिले होगे , ना शिकवे होगे , ना कोई शिकायत ,
खिलखिलाएगी महोब्बत से हरेक बात नई
दिल ठिकाने पर है , धड़कन है ठीक अपनी जगह
डर हैं आखों से ना कर दे कोई बरसात नई .....

पलक

Sunday, November 2, 2008

मासूम महोब्बत ....


ये मुश्किल है ,
की भूल जाऊ तुजे ,
ये भी मुमकिन है ,
पा ही जाऊ तुजे ,
तू जहा है वहा ,
बात जाती नही ,
और वहा से ख़बर ,
कोई आती नही ....

तू बहुत दूर है ,
हां..! बहुत दूर है ,
मुजको मालूम है ,
तू बहुत दूर है ,
मगर क्या करे ,
दिल से जो हम मजबूर है .........

Saturday, October 25, 2008

Happy Diwali




Wishing Happy Diwali To All My Friends.... PALAK...























Wednesday, October 15, 2008

Ek Din Hum Phir Mil Jayein Gayein



Main Nay Poocha Kaisey Ho
Badlay Ho Ya Waisey Ho
Roop Woh Hi Andaaz Woh Hi
Ya Phir Is Main Koi Kammi Hai
Hijaar Ka Kuch Ehsaas To Ho Ga
Koi Tumharay Paas To Ho Ga
Main Beechhdi Majboori Thi
Kab Manzoor Mujhay Doori Thi
Sath Humara Kab Choota Tha
Rooh Ka Rishta Kab Toota Tha
Aankh Say Aansoo Jo Behtay Thay
Tum Ko Khabar Hai Kia Kehtay Thay
Main Nay Kaha Aawaaz Tumhari
Aaj Bhi Hai Hum Raaz Humari
Phool Waffa Ke Khil Jayein Gayein
Ek Din Hum Phir Mil Jayein Gayein

Thursday, October 9, 2008

પ્રાર્થના ... ( In Gijarati)

હે પ્રભો !
વિપત્તિમાં મારી રક્ષા કરો, એ મારી પ્રાર્થના નથી,
પણ વિપત્તિમાં હું ભય ન પામું,
એ મારી પ્રાર્થના છે.
દુ:ખ ને સંતાપથી ચિત્ત વ્યથિત થઇ જાય ત્યારે
મને સાંત્વના ન આપો તો ભલે,
પણ દુ:ખ પર હું વિજય મેળવી શકું એવું કરજો.
મને સહાય ન આવી મળે તો કાંઇ નહિ,
પણ મારું બળ તૂટી ન પડે.
સંસારમાં મને નુકસાન થાય,
કેવળ છેતરાવાનું જ મને મળે,
તો મારા અંતરમાં હું તેને મારી હાનિ ન માનું તેવું કરજો.
મને તમે ઉગારો - એવી મારી પ્રાર્થના નથી,
પણ હું તરી શકું એટલું બાહુબળ મને આપજો.
મારો બોજો હળવો કરી મને ભલે હૈયાધારણ ન આપો,
પણ એને હું ઊંચકી જઈ શકું એવું કરજો.
સુખના દિવસોમાં નમ્રભાવે તમારું મુખ હું ઓળખી શકું,
દુ:ખની રાતે, સમગ્ર ધરા જ્યારે પગ તળેથી ખસી જાય
ત્યારે તમે તો છો જ -
એ વાતમાં કદી સંદેહ ન થાય, એવું કરજો.



ઉમાશંકર જોશી --



This is one of jy favourite prayer in gujarati... and yes this is my first post in Gujarati Language....

Wednesday, October 8, 2008

Why Women cries………………………


One day, a young boy asked his mom.
“Why are you crying?”
“Because I’m a woman” she told him.
“I don’t understand,” he said.
His Mom just hugged him and said, “And you never will, but that’s okay.”
Later the little boy asked his father, “Why does mom seem to cry for no reason?”
“All women cry for no reason” was all his dad could say.
The little boy grew up and became a man, still wondering why women cry finally, he put in a call to God.

When God got back to him, he asked, “God, why do women cry so easily?”

God answered, “When I made women, I decided she had to be special.



  • I made her shoulders strong enough to carry the weight of the world, yet her arms gentle nough to give comfort.

  • I gave her the inner strength to endure childbirth and the rejection that many times will come, even from her own children.

  • I gave her a hardness that allows her to keep going and take care of her family and friends, even when everyone else gives up, through sickness and fatigue, without complaining.

  • I gave her sensitivity to love her children under any and all circumstances even when her child has hurt her badly. She has the very special power to make a child’s boo-boo feel better and to quell a teenager’s anxieties and fears.

  • I gave her strength to care for her husband, despite faults, and I fashioned her from his rib to protect his heart.

  • I gave her wisdom to know that a good husband never hurts his wife but some times tests her strengths and her resolve to stand beside him unfalteringly.

    For all of this hard work, I also gave her a tear to shed, It is her’s to use whenever needed and is her only weakness.”

    “When you see her cry, tell her how much u love her and all she does for everyone. And even though she may still cry, you will have made her heart feel ” She is special!”

Wednesday, October 1, 2008

And we met one day...!!!!!


And we met one day
you were surprised, i was shocked..
you smiled, i shrugged.
"Long time"
"yeah"
and a silence followed.


Last time, your silence had broken me
this time, you broke the silence.
"I have to go, he would be waiting."
"Ah, sure. I hope we meet again…
somehow, somewhere"
We parted our ways again,
but with a goodbye and smile,
oh really?


We could have talked,
about our lives without each other,
or rather about..
how you landed in this city again.
or rather about..
old buddies and good old times.


No, not really..
how can we become so casual,
after all that had happened.


But we could have said something else
on weather, winds, sun, countries…
Thousands of things
people talk about
when they have nothing
to say to each other.


But we went away,
We were ashamed
of surviving without each other
for all these goddamn years

Happy Navratri..



Wishing You all Very Happy Navratri …..
It is believed that Goddess Durga on her 10 day journey around the earth removes all evil....... May Goddess Durga destroy all evil in and around you and fill your life with happiness and prosperity.


May this Navratri… Bring You Joy and Happiness... To last through out the year! Shubh Navratri

Monday, September 29, 2008

CLEARIFICATION

I want to say something here.. for all my frds and for that ppl who all ready my blog. i m not a POET. yes but i have one hobby that is reaing some poems and ood book. Writing diary is my passion.yes off course sometimes i write poetry that is fact .. somethimes it is very hard to write all that poem which i loved the most so thats why i post here inmy blognot for ppl or my frds this blog is only for me and my memories.. i picked this poem from one of a beautiful blog. but unfortunately the author of that blog misunderstand me . yes of course may be my mistake that i was not mension her name below this poem but not a bad intenshion . just forgot. i think the proper sentance is " these r my memories so i think it is not complasary to mention his or her name. anywaz this is a crrarificatiopn for all my frd. and if i hurt someone in anyway then i m sorry . but again i reapet i have not a wrong intension.

PALAK......

Saturday, September 27, 2008

कुछ बाते अधूरी सी!!!


हमने महबूब की आँखों पर
हाथों को अपने रख कर देखा
नफ़रत के अंगारों को जब उनकी
नज़रों मे दहकता देखा
और उनही हाथों को दिल पर रख कर,
अपनी हसरतों को ख़ुद अपनी आँखों से जलता देखा
चाँद की तरह हमने प्यार को भी मरता देखा!!!

एक अजनबी सी नज़र दीवार को भेदती हुई,
एक उखड़ी हुई साँस जिगर को छेद़ती हुई
ख़ुद की तलाश मे भटक रही है रूह,
दो पल का भी नहीं जैसे मेरे नसीब मे सुकून
घर के साज़ो-समान को ख़ुद पर हमने हस्ते देखा
अपने वजूद को भी सजावट का सामान बनते देखा!!!

हर रिश्ते पर एक मौत ख़ुद की पाई है
बाज़ार मे जैसे बोली ख़ुद अपनी लगाई है
कोई ज़हर जैसे अपने हाथों पी लिया हमने,
ज़हर पी के भी मगर कैसे जी लिया हमने
खुली आँखों से कैसा ख़ौफ़नाक ये सपना देखा
कई ज़हरीले नागों को क़दमों से लिपटते देखा !!!

एक ही मंज़र ये ह्र रात का होता है
चाँद भी आकर मेरी छत पे रोता है
पलकों मे नमी होती है बिखरी बिखरी
दिल फ़िर भी नयी उमीद़ कोई पिरोते है
वोह तो तिक्ये को आगोश मे ले लेते है
जाने कैसे वो चैन की नींद सो लेते है
रात की रानी को कभी खिड़की पे महकता देखा
हमने रातों को आँखों आँखों मे गुज़रता देखा!!!

i want to say something here.. for all my frds and for that ppl who all ready my blog. i m not a POET. yes but i have one hobby that is reaing some poems and ood book. Writing diary is my passion. somethimes it is very hard to write all that poem which i loved the most so thats why i post here inmy blognot for ppl or my frds this blog is only for me and my memories.. i picked this poem from one of a beautiful blog. but unfortunately the author of that blog misunderstand me . yes of course may be my mistake that i was not mension her name below this poem but not a bad intenshion . just forgot. i think the proper sentance is " these r my memories so i think it is not complasary to mention his or her name. anywaz this is a crrarificatiopn for all my frd. and if i hurt someone in anyway then i m sorry . but again i reapet i have not a wrong intension.

PALAK......

Tuesday, September 23, 2008

May we love foreve..!!!!


From strangers to lover
it has been a difficult way
flirting and feelings
and mixed emotions
and the range of hateret
and over powered me once
felt like end of the world
when you cheated on me

Today we are lovers to be
like we were sweethearts from eternity
like there was never a begining
like there will never come an end
this is the magic of love
the love we share now my friend

i wish you make me feel cheesy
and comfurlable as you do
may the life we have dreamt of
is written dowm the history
from the mistry os love
to love’s deepest findings
may we live foreve;

you and me

Monday, September 22, 2008

ख़तम न हो कभी सिलसिले
जो अब तुमसे बने है
मिटे न कभी अपने फासले
जो अब नज्दिकिया बनी है
टूटे न कभी मन के धागे
जो अब तुमसे जुडे है
बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है
महकता रहे अब प्यार
जो अब तुमसे मिला है
हर सांस में रहे इक नाम
जो अब बस तुम्हारा है

Sunday, September 21, 2008

तुम हो ... हम हो.....!!!!!


दिल करता है आज बस तुम हो हम हो
इस नगरी में मोहब्बत की, न हो कोई दूजा

मेरे दिल में आहेसस सिर्फ़ तुम हो
ऐतबार तुम मेरा, तुम हो मेरी पूजा

इश्क़ है जुनून है और है गुदगुदाता समा
तुम हुए हमारे यह जान के मौसम हसा

आयो आब तुम बाहों में आजओ
इस प्यार के न मिले कभी सज़ा
******पलक ******

Friday, September 19, 2008

प्यार...!!!!


जो करता है तुम से प्यार
वो ही देता है तकलीफ हज़ार
उस के दिल मैं होता है
तुम्हारे हर बात के लिए इकरार
करो तुम चाहे कितना भी इनकार
पर लगेगा वो तुम्हे प्यार हर बार
रूठ जाओगे तो मनाएगी वो
हर बात पर तुम से करेगी तकरार
पर एक बार उस से कह कर देखना
जिन्दगी भर करेगी वो तुम्हारा इंतज़ार
तुम्हारे हर दुःख को अपना कर
देगी वो तुम्हे खुशियाँ हज़ार
करेगी तुम्हारी हिफाज़त कुछ ऐसे
जैसे पूलों की हिफजात कांटे करते है हर बार ....




Wednesday, September 17, 2008

कहीं ये कोई इशारा तो नहीं !!


भीगी तो नहीं है पलकें ,
पर हाँ नम हैं आँखें आज फ़िर,
दर्द तो नहीं है दिल में कोई
पर एक एहसास सा है आज फ़िर,


उस ऊंचे आकाश को देख कर
फ़िर उड़ने को दिल क्यों करता है ?
इस फैली धरती को देख कर
इसमें समाने को दिल क्यों करता है ?


ओस की बूंदों पर ,फूलों के रंगो में
मैं कुछ ढूँढने लगी हूँ !
बारिश की रिमज़िम में ,तारों की टिमटिम में ,
मैं कुछ खोने सी लगी हूँ !


सच तो नही शायद पर फ़िर भी दिल ये पूछता है ,
ये उड़ना ये खोना ,ये आँखों का नम होना ..
कहीं ये कोई इशारा तो नहीं !!

Tuesday, September 16, 2008

उमर लग जाये उन्हें.....!!!!


प्यार का जिस ने मुझे एहसास दिलाया
जिस के कंधे ने मेरे असू पीए कही बार …
जिन बाँहों ने मुझे सहारा दिया,
दिल में जिनकी सबसे खास-अनोखी जगह है,
जिन्होंने ने मेरे जीवन को आधार दिया
हर मुशकिल राह को जिसने आसां किया ,
खुश रहें सदा वो दिल से !!
कोई गम ना हो, बस ये सौगात मांगती हूँ


ए खुदा मेरी भी उमर लग जाये उन्हें
हर वक़्त हर घडी ,आपसे उनका साथ मांगती हूँ


दिल दुखाया है मैंने , कई बार..
जानती हूँ… और सजा भी खुद आज मांगती हूँ …


मेरी आत्मा है वो न कोई उन जैसा मेरे लिए
हर जनम ,अपने साथ उनका हाथ मांगती हूँ


पलक

Sunday, September 14, 2008

~~~~यादे, बस यादे ~~~~~


कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर
जब हम बीते लम्हों को टटोलते हे,
यही तो तुम खड़े थे
वो कम शक्कर की चाय के कप पर
वो बरसती शाम की बूंदों पर
तुमने मुझे पास बुला कर कहा था
की "तुम्हारे बिना जिया नही जाता"
वो बूंदे गवाह थी, तुम्हारे इज़हार की
वो गवाह वक्त के साथ सूख गए
पर यादे.....
वो वही उसी कमरे में
खिड़की पर तुमसे छुट गई
चाय का कप तो धुल गया
पर उस मे जमी तुम्हारी
खुशबू मिट नही पाई...
आज भी बारिश बहुत तेज हे
खुली खिड़की की आवाज़.. लगता हे
तुम्हे बुला रही हे
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे..


palak

जब वो मेहँदी रचाए हाथों मैं ....!!!


ऐसी ही सर्द शाम थी वो भी ....
जब वो मेहँदी रचाएं हाथों मैं ....
मेरे पास वो आई थी .......
ज़मानी से बच कर ....
सब से नज़रे चुरा कर....
सुर्ख अचल मैं मुह छुपाये हुए ...
ख़त अपने मुज से लेने आई थी वो....
उस की सहमी हुई निगाहों मैं .....
कितनी खामोश सी बाते थी ......
उसके दिल मै कही अनकहे सवाल थे ..
उस के चेहरे की जर्द रंगत मैं ....
कितनी मजबूरियों के साये थे ....
मेरे हाथों से ख़त लेते हुए .....
ना जाने क्या सोच के अचानक वो .....
मुज से लिपट कर रोई थी ....
उस के गुलाबी होठों के ....
कपकपाते किनारों पर ...
कही अन कहे फसाने थे .....
सर्द शाम मैं आज भी अक्सर ....
उस की रुख्सदी का मंज़र .....
मेरी आखों मैं जिलमिलाता है .....
बस एक वही लम्हा .....
मुज को अपनी तरफ़ ....
बार बार खिचता है ....
ऐसी ही सर्द शाम थी वो भी ...
जब वो मेहँदी रचाए हाथों मैं ....
मेरे पास आई थी.......


पलक ....!!!!!

Friday, September 12, 2008

ek aur naya sapana !!


Har baar ungaliyon ko chooke;
Haath se Phisalta Sapana;
Pass aake kosoon door
Nikal jaane wala Sapana;
Ummid ki har dor
har beete din pe
kamajor banane wala sapana;
Phir bhi har naye daur me
nayi roshani deta
in aankkhon me sajata ye sapana;
jindagi ko naya roop rang deta,
jeene ke liye ek maksad deta,
phir se tootane ke liye
ubharta ek aur naya sapana !!


*****PALAK******

Thursday, September 11, 2008

निशान दिल पर तेरे ....!!!


गीली रेत पर पैरों के निशान
हाँ, मिट जायंगे,
उस सागर की इक लहर के संग
पर उन चिह्नों का क्या?
जो दिल पे छाए, बन कर घने साये ...
नही मिटते वो आसुओ के साथ भी
ओर गहरे हो जाते है ..
क्या है कोई ऐसा सागर....
जो मिटा दे ये निशान...

पलक

Wednesday, September 10, 2008

चाँद और चांदनी......!


एक चाँद की सहेली
मेरी भी सहेली
बड़ी इठ्लाये अपने पीया पे
देख देख उसे
ज़लाये-चिडाये
इक दिन पूछा मैंने
ऐसा कया उसमे?
लगी इतराने ....
पिरोई उस ने तारीफों की लड़ी
सुन सब, मैंने
अंगूठा दिखलाया और कहा ....
अरी, बड़ा दूर वो तुझ से
न जाने कितनों का सजन, तेरा सनम
मेरा 'माही' तेरे चाँद से कितने पास मेरे
दिन -रात, हर पल संग रहता मेरे
कोई नहीं देखे उसे मेरे सिवा
बस 'माही' मेरा ....मेरा ही रहे
हमेशा के लीए .....
तब वो इठला के बोली
चाँद मेरा हमदम
मेरा दोस्त
मेरी जिन्दगी है
हा वो दूर है मुज से
पर इतना पास है
जितना किसी का सजन ना होगा
दुरिया हमरी प्यार कम नही करती
हमें और पास ले आती है
चाँद और मैं .... हम सच्चे चाहने वाले है

वो चाँद मै चांदनी बनी उस की ....
वो चाँद मेरा " माहि" है ... मेरा यार है.. मेरी आत्मा है .....

Tuesday, September 9, 2008

ARMAN HAI TUM SE ....!


Mujhe Chanda Kaho , Jaan Kaho
Mujhe Apne Dil Ka Mehmaan Kaho
Mujhe Dekho Her Lamha Yunhi
Mujhe Tum Apni Pehchaan Kaho
Mai Puri Karoo Tumhari Her Khawahish
Mujhe Tum Apna Maan Kaho



Her Haal Mai Tum Mujh Ko Hi Socho
Mujh Se Dil Ka Her Armaan Kaho
Her Lamha Tum Ko Hi Chahoon Mai
Mujhe Pyaar Ki Tum Apni Shaan Kaho



Mere Dil Ki Dharti Tumhari Hi Hai
Us ko Zameen Kaho, Aasman Kaho
Her Azooo Ko Meri Zuban Keh lo
Tumhari Dunia Mai Khoyi Rehti Hun
Mujhe dulhan tumhari dil ki anjan Keh lo



Rakhoon Door Her Shaher Ko Tum se
Mujhe Dost Kaho, Negebaan Keh lo
inayat Pyaar Ki Apni De Do
chahay pyar ki pehchan keh lo...
पलक



Monday, September 8, 2008

ज़िन्दगी ...!



ना कांटों का है दामन ना फुलों कि सेज सुहानी है,
ज़िन्दगी तो बस नदी सा बहता पानी है....
ना रुकी है पल को भी किसी क रोके,
रफ्तार उसकी तुफानी है.....

ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है ......

चली थी पहाड़ से हौले से तो बचपन,
लगी इठलाने तो जवानी है ....
हुई धीमी जो सागर मे मिलने से पहले,
तो बुढ़ापे कि भूली सी कहानी है...
ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है

पल भर को बिखरती है झरने से गिर कर,
फिर समेट के खुद को ,वोह आगे बड़ जानी है....
लाख रोको उसको बाँध बाना कर,
मोत् के सागर मे इक दिन मिल ही जानी है ....
ज़िन्दगी और कुछ नही बस बहता पानी है.....
Palak

Sunday, September 7, 2008

निशनी रह जायेगी....


मेरी यादों मैं, एक अनकहीं कहानी रह जायेगी
कुछ पलो मैं बीती , सारी जिन्दगी रह जायेगी
कुछ पल मैं चल पाउगी , एक कहानी बनकर
तमाम उमर तेरी नजरो मैं एक निशानी रह जायेगी
ज़ख्मो का हिसाब तो हमेशा ही बेहिसाब रहेगा
कम से कम ये आंखे तुम्हे नमी दे जायेगी
ये महफिलों की दुनिया कर जाउगी नाम तेरे...
फ़िर भी तेरी जिन्दगी मैं एक तन्हाई रह जायेगी ....


palak

Thursday, September 4, 2008

अमानत.....


सुर्ख सी खुशी है... नादान सी जरुरत...
धीरे धीरे सासों को भी हो चुकी एक मुद्दत .....
असमानों के परे ...कही खिल रहा एक फूल ....
कैसे कह दू की क्या है वो...
अगर कह दू.. तो तुम हो ....अगर न कुछ तो नजाकत हो.....
वो कदमो पर तेरा यु कदम रख कर चलना .........
थोडी अनकही.. थोडी शोख... कुछ रूठी.. कुछ सहमी....
हर आरजू की एक छोटी सी एक चाहत ...........
चाहत के धागे का वो एक सिरा ... मैंने अपने दिल से बाँध रखा....
और सहज कर रखा है तेरी वो नजदीकियों की अमानत.....


.......पलक.......

Tuesday, September 2, 2008

आग का दरिया....

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हसीं लम्हों का सूनापन
उल्जा उल्जा सा मेरा मन
कभी भूल नही पाउगी मैं तुम्हे
पानी का वो मौज तक आना
हर साँस को गीला कर जाना
कही पर छोड़ आई हु मैं
यादों के सफर पीछे रह गए और.......!!!!!
कल साथ ले आई हु मैं
बयां करू मै कोन सा ख्याल
बेचैन दिल से किया सवाल
मेरे पास तो रह गया है सिर्फ़
शब्दों का जरियां ..
एक पल मै जी आई हु मैं
तेजाब की बूंदे बारिश मै कल
जलाये आखों मैं वो हसीं पल
न रोक सही कल मैं उसे
रत भर सुलगती रही ऐसे ही उस मैं
जाने फिर कब ऐसे बरसात हो
याद रहेगा उमर भर वो
वो बारिश ...
वो बूंदे ...
वो पानी.....
और वो....आग का दरिया....






palak

Monday, September 1, 2008

उस से कहना की..........



उस से कहना किताबों मैं रखे सुखे हुए कुछ फूल उस के लौट आने का यकीं अब तक दिलाते है ,
उस से कहना उस की जील सी आंखे किसी मंज़र पर छा जाए तो सब मंज़र युही भीग जाते हैं ,
उस से कहना ठंडी बर्फ पर कोई किसी के साथ चलता है तो दिल फ़िर से उन क़दमों के निशान से उसी के लौट आने की उम्मीद करता है ...
उस से कहना उसकी भीगती आखों का वो आसू सितारे की तरह अब भी हमें शब् भर जगाता है ,
उस से कहना के बारिश आज भी उन खिड़की पर बूंदों से उस का नाम लिखती है ,
उस से कहना की खुशबू, चांदनी तारे , रास्ते , घटा, काजल ,शबनम, हवाएं , रात और दिन, बादल ये सभी नराज़ है ....उस से कहना जुदाई के रिश्तों पर जो सूखी टहनियां है वो सारी बर्फ की चादर मैं कब की ढक चुकी है ....
उस से कहना की शाखों पर जो पत्ते थे वो अब सुनहरे हो चुके है ....
उस से कहना की..........
बस अब लौट आए .......
मेरे पास लौट आए... ...


पलक

Thursday, August 28, 2008

Taking For Granted …!


When we know someone,something is going to be there at our disposal ; do we try taking them granted ? What is the fine line that defines "taking for granted" and "counting onto someone/something" ?
To what extend one can take granted to someone ? Does it happen between people who are suppose to be in love with each other ?
When one beloved denies the existance of bond despite of the feelings towards each other; is there a feeling of being taken for granted. No matter what someone is gonna come back to you; how much ever you deny the feelings !! Are we trying to take the destiny granted ? …

P.S. : This is from "Monologues" when i read it i liked it very much …. so today i m posting here … PALAK….

Wednesday, August 27, 2008

थोड़ा और इंतज़ार...!

पल-पल हर पल की आहट मे खामोश सा है
हम से है अलग पर इन साँसो से कुछ जुड़ा सा है
धीमे-धीमे गिरते वक्तपर रफ्तार का अहसास सा है
हर थमी बातो मे साथ छोड़ते अल्फाज़ का अह्सास सा है…

चाँद तो आता है नज़र पर इसमे यह सूरज खो गया क्यो है
आँखो मे बसे है चेहरे पर अपना ही अक्स छुपा क्यो है??

कही भूला,कही छुट सा गया है मुझसे
थोड़ा ठहरा, थोड़ा सहमा हूँ इससे
हर रात के लिए रोशन है कुछ दिये
बुझे चिरागो से ढूढूगा किसे
पर यह रोशनी ही तो अंधेरे का सबब है
इन्ही परछाइयो का तो रूह को समझ है

नज़रो को ढूढती पैरो के निशान
जब सेह्रा मे साहील का हुआ था गुमान
कही तो साहील होगा इस सागर के पार
शायद इसलिए है इन यादो को…
और थोड़ा…थोड़ा और इंतज़ार…

Tuesday, August 26, 2008

स्वपन एक सुन्दर घर का...!





मैने देखा था स्वपन एक सुन्दर घर का,
बनाते हम तुम मिल कर जो,
जैसे प्रेम नीद मै,प्रेमी दो ,
अपना जहाँ सुन्दर होता, जिसमे हम रह पाते तो,
तुम मेरे संग , मै तुम संग,
दिल की बात कह पाते तो
मै राह निहारती, तुमारी प्रेम पथ पर
तुम काम से थक कर आते तो,
मै भी थकी हरी सी, हस्ती,
तुम भी कुछ मुस्काते तो,
सारी पीरा तुम मुझ से, हम तुम से कह पाते तो,
उही जिन्दगी गुजरती अपने सव्प्नो के घर मैं,
जिन्दगी के एक पड़ाव पैर तुम हम मुकुराते तो..

पलक

Saturday, August 23, 2008

चाहत का इज़हार ...!

सहमी सी निगाहों मैं ख्वाब हम जगा देगे ,
इस दिल का चैन भी हम लुटा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो,
इन पलको मैं हमेशा के लिए तुम्हे पनाह देगे …

अपने खयालो के हर कोने मैं तुम्हे बसा लगे ,
फ़िर तो हम उस चाँद को भी भुला देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
हमारी तराह तुम्हे भी हम दीवाना बना देगे…

तन्हाई मैं तुम्हारी हम महफील सजा देगे ,
लबो पर तुम्हारी एक मुस्कान सजा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
इस इजहार के इंतज़ार मैं हम जिन्दगी गुजार देगे …

***** पलक *****

Friday, August 22, 2008

Thursday, August 21, 2008

मेरे होने का मतलब दे दो.....................

बाजुओ पर सर रख सोने दो
थक चली हूँ अब तो रुखसत होने दो
जन्मो से चल रही हूँ साथ तेरे
अब तो कुछ देर ठहरने दो...
मिट्टी पर खीची थी जो लकीरे
और बनाए थे आशियाने जो रेत पर
अपने अपने नसीब के हिस्से के
कुछ तो मकाँ बनने दो..
वो जो कहते है कि सब तेरा है
ये वक़्त ये आलम ये दिल भी तेरा है
ये आंखो मे जो अटका पड़ा है एक आँसू
उसे ही बस मेरे नाम रहने दो....
खिलते थे कभी तुम भी मेरे नाम से
और महक उठते थे इस खयाल से
एक पल को ही सही
फिर से वही सब सोच लो
मेरे होने के अर्थ को
मेरे होने का मतलब दे दो.....................पलक

Wednesday, August 20, 2008

तेरी उल्फत


तेरी उल्फत का यकीं था
तेरी आने की उम्मीद थी ,
तेरे इंतज़ार मैं कटी फ़िर एक शाम जिन्दगी की …..


तेरी महोब्बत में हमने तो
भुला ये सारा जहाँ
दिल की हर एक धड़कन अब हमें लगती है अजनबी सी


सारे राह गिरते है , चलते चलते हम,
रहते है हम अक्सर ख्यालों मैं ये तेरे ,
लगता है ऐसे जैसे हमपर चली है कोई बेखुदी सी..


आवाज़ तेरी देती है हमे सुकून हरदम ,
चेहरा तेरा रहता है आखों मैं यु सनम ,
तेरे दर्द - ऐ - जुबानी मैं भी मिलती है एक खुशी सी …


सारे लम्हे बिखेर चुके है ,
तुज से यु जुदा हो ..


पर आज भी.... उनके कुछ निशाँ बाकि है जिन्दगी मैं ....


यु ही तेरी उल्फत का यकीं था .......... पलक

Tuesday, August 19, 2008

सुकून.....


बादलों के पार
इक ओर जहां
लेकर जाना, तुझे
अपने संग वहाँ
छुए रौशनी,
जलाये अब,
देखे दुनीया,
सुनाये अब,
बस बाते हो,
अपने दील की
कुछ राते हो
अपने सुकून की..... पलक ....

Monday, August 18, 2008

मेरा नाम है महोब्बत ....!



खोई खोई सी
धीमी धीमी सी
थोडी अनकही
थोडी सी शोख
थोडी सी मुस्कुराती
दो दिलो की है वो इज्ज़त
मेरा नाम है महोब्बत
भींगे सपने
कच्ची यांदें
अनकही वो बाते
मध्हम सी वो सासें
होठो पे है शरारत
मेरा नाम है महोब्बत


पलक

Saturday, August 16, 2008

वन्दे मातरम्......!

Original Sanskrit version of Vanday Matram
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥

सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥
Official version

वन्दे मातरम् सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्

Jai Hind


Wednesday, August 13, 2008

Tuesday, August 12, 2008


कुछ तुम कहो , कुछ मैं सुनु
बात कह भी दो जो न मैं कह सकू
बीत जाए न यह पल,
हाथो को छु कर.. वो बात कह भी दो
कुछ तुम कहो , कुछ मैं सुनु
बाँहों मैं तुम समां लो .. कह दो वो बात आज ...
बीत जाए न ये रात युही
कह दो जो आज कहना ..जो मेरे दिल को है सुन ना

देर ना तुम करो बस, आज कह भी दो
कुछ तुम कहो .. कुछ मैं सुनु ...पलक

Monday, August 11, 2008

भींगी पलके .....!!!!!

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उमर भर दोहराएँ ऐसे कहानी दे गया
उस से कुछ पा सकू ऐसे कहा उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद अनजानें महेरबानी दे गया
सब हवाएँ ले गया मेरे समंदर की कोई
प्यासी रहू मैं पैर इतना तो किया
मेरी पलकों के किनारों को वो पानी दे गया ... पलक


Sunday, August 10, 2008

तेरा सजदा...................!!!!!!!!!


ना दौलत से,
ना सोहरत से,
ना दुनिया से,
ना घर आबाद करने से,
ना मंदिर, ना मस्जिद, ना गुरूद्वारे जाने से,
तसल्ली मेरे दिल को मिलते है तेरा सजदा करने से.
बस तेरा सजदा करने से ... !


***************पलक****************

Saturday, August 9, 2008

एक खुबसूरत याद


कभी आती है खामोशी से
चुपके से
सरगोशी से
अँधेरी रात मैं
भीगी बरसात मैं
कभी वीराने मैं
कभी अनजाने मैं
कभी महफिल मैं
कभी तन्हाई मैं
क्या ख़बर क्यों आती है
ये वक्त के
किस वजह से किस के लिए
किस की खातिर
किस ले लिए
क्या कहे ..क्या बताये
ये क्या है
एक एहसास है
एक प्यास है
फ़िर भी अच्छी लगती है
अनजानी सी
बेगानी सी
पहचानी सी
" एक खुबसूरत याद"


पलक .........

Friday, August 8, 2008

Har pal har ghadi kyon yaad aate ho
Wo soye hue armaan kyon jaga jaate ho
Kuch khwaab adhoore chode hai humne
Kya wohi yaad dilanaa chaahte ho

Thursday, August 7, 2008

कंगन....!


काश मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता
तो बड़े प्यार से बड़े चाऊ से बड़े मन के साथ
तुम अपनी नाज़ुक सी कलाई मैं लगाती
और फ़ुसर्सद के लम्हों मैं
तुम किसी सोच मैं डूबी हाथ से घुमाती मुज को
मैं तेरे हाथ की खुशबू से महक सा जाता
जबकभी अनजाने से चूमा करती मुझे
तेरे होंठो की नजाकत से देहेक जाता मैं
रात को जब भी नीदों के सफर पर जाती
अनजाने से हाथ का तकिया बनाया करती मुझे
मैं तेरे कानो से लग कर कई बाते कर लेता
बेफिक्री से तेरी जुल्फों को तेरे गालो को चूम लेता
मुज को बेताब सा रखता तेरी चाहत का नशा हर वक्त
मैं तेरी रूह मैं बसा रहता
ऐसे ही तेरे हाथो मैं खनकता रहता
कुछ नही तो ये बेनाम सा बंधन होता
काश मैं तेरे हसीं हाथों का कंगन होता ..

काश ये बंधन ऐसे ही होता .... पलक

Wednesday, August 6, 2008

प्यार का इज़हार ....!!!!!


आप को कहने का दिल मै जब जब ख्याल आया है
पहले बड़े जतन से हम ने लब्जो को सजाया है
राह मै अचानक जब आप नजर आते है
हलक से आने मै आवाज कुछ देर लगाती है
जब कहने को होते है तो आप गुजर जाते है
आज तक कुछ कह नही पाए है
हार कर लब्जो को कागज पर सजाये है
कुछ ज्यादा नही इतनी सी फरमाइश है
एक तुम जैसे जीवन साथी की ख्वाइश है
माफ़ कर दीजियेगा गर भूल हुए जो कह कर
एहसान होगा आप का जो ये प्यार कुबूल हो ....

पलक