Wednesday, April 29, 2009


अनदेखे ख़्वाबों को तुम्हारी नज़र की ज़रूरत है,
ज़िन्दगी के रूह को मोहब्बत की ज़रूरत है.
ख्वाब टूट जाते हैं कांच के टुकडों की तरह,
जज्बातों के सैलाब में सूखे आंसुओं की तरह.
अरमानों के भवर में क्यूँ खो गए जज़्बात मेरे?
खुदा के अज़ान में भी दबे हैं कहीं आंसू मेरे.
बे-पनाह मोहब्बत से फकत अलेहदा है ज़िन्दगी तुम्हारी,
के सुर्ख फूलों में जिंदा है आज भी खुशबू तुम्हारी

Sunday, April 26, 2009

"महोब्बत छोड़ दी हम ने"

यह तुम से कह दिया किस ने
के तुम बिन रहे नहीं सकते
यह दुःख हम सहे नहीं सकते
चलो हम मान लेते हैं
के तुम बिन बुहत रोये
कई रातों को ना सोये हम

मगर अफ़सोस है की तुम नही हो
गर पोछना चाहो असू
तोह ये वादा है तुम मायूस लौटो गे

न हम पर इल्जाम देना
जब सोच मैं तुम यु कभी खो जोगे
सोच पाओगे की ये क्या किया हम ने
याद तोह बहोत आएगी तुम्हे
पर वहा से एक ही चीख आएगी
पुरानी एक रिवायत तोड़ दी हम ने
"महोब्बत छोड़ दी हम ने"
पलक

Friday, April 24, 2009

एक दूजे पे मरते है .....



एक दूजे पे मरते थे,
हम प्यार की बातें करतें थे,
ख्वाबो में खोये रहते थे,
बाँहों में सोये रहते थे
हम आशिक थे .... दीवाने थे ....
इस दुनिया से बेगाने थे ..
यह उन दिनों की बात हे,
जब हम पागल पागल फिरते थे.

कहते थे कुछ ... और सुनते थे कुछ ,
हम फूल वफ़ा के चुनते थे.
कभी हसते थे ... कभी रोते थे,
हम यार जुदा जब होते थे,
हमे सब कुछ अच्छा लगता था,
अफसाना सच्चा लगता था,
यह उन दिनों की बात हे,
जब हम पागल पागल फिरते थे.

तन्हाई में जब मिलते थे,
दिल में हलचल सी होती थी,
हम दोनों जागते रहते थे.
जब सारी दुनिया सोती थी,


जब याद तुम्हारी आती थी,
चाहत के नगमे गाते थे,
बेचैन दीवानी धड़कन को.
बहलाते थे समजते थे,
यह उन दिनों की बात हे,
जब हम पागल पागल फिरते थे.

एक दूजे पे मरते थे,
हम प्यार की बातें करतें थे,
ख्वाबो में खोये रहते थे,
बाँहों में सोये रहते थे
हम आशिक थे दीवाने थे
इस दुनिया से बेगाने थे ,
यह उन दिनों की बात हे,
जब हम पागल पागल फिरते थे। .....


पलक

Wednesday, April 22, 2009

नासूर ......!!!!



कोई ज़ख्म नही, ना कोई दर्द है ...
बस एक खामोशी सी इस दिल में है ...
कुछ गिला भी नही, कुछ खोया भी नही ...
बस एक अधूरापन इस दिल में है ...!!!!

ना कुछ कहने को है ...ना सुने को है...
सवाल भी अब नही मन मैं ..
भुलाना ही क्या किसी को जब वों याद ही नही ...
बस एक बेचेनी सी है इस दिल मै कहीं



चाँद से क्या कहू, अब तो कोई अँधेरा भी नही
ना दिन की तलाश है, ना रौशनी की कमी
ग़म, उदासी, कोई आंसू भी नही अब
तो फिर इस दिल को किस चीज़ की कमी सी है ....!!! ?




पलक .......

Tuesday, April 21, 2009

Mari Akhay Kanku Na Suraj Athamya ....!!!

મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….
મારી વે’લ શંગારો વીરા, શગને સંકોરો
રે અજવાળાં પહેરીને ઊભા શ્વાસ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

પીળે રે પાંદે લીલા ઘોડા ડૂબ્યા;
ડૂબ્યાં અલકાતાં રાજ, ડૂબ્યાં મલકાતાં કાજ
રે હણહણતી મેં સાંભળી સુવાસ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

મને રોકે પંછાયો એક ચોકમાં;
અડધા બોલે ઝાલ્યો; અડધો ઝાંઝરથી ઝાલ્યો
મને વાગે સજીવી હળવાશ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

one of my most favourite song in Gujarati Music .... palak