Thursday, January 8, 2009

गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती

गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
दिलों से महोब्बत की पहचान होती
और महोब्बत इतनी आसन ना होती
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
उल्फत - ऐ - महोब्बत किसी के दीदार से ना बढती
दर्द की परिभाषा यु रोज ना बदलती
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
हुस्न और इश्क की ना कोई जंग होती
प्रेम के ढाई आखर यु प्रेम ग्रन्थ ना बनते
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना
आजमाइश - ऐ - महोब्बत यु ना रंग लाती
With Special Thanks to My Best Friend Purvi . I Hope .... purvi u ill like bit editing in this poem..
palak


Wednesday, January 7, 2009

कुछ सवाल कुछ अनकहे जवाब ...

पल ही ऐसा था की हम इनकार न कर पाए…
ज़माने के डर से इकरार न कर पाए…
न थी जिनके बिना ज़िन्दगी मुनासिब…
छोड़ दिया साथ उन्होंने और हम सवाल तक न कर पाए…
एक सवाल का ही दायरा था..
हम पार कर न सके....
जो हो गए थे मन् ही मन् हमारे...
चाहकर भी उन्हें इजहार कर न सके..
तकदीर में था ही बिछड़ना हमे..
सोच कर कभी आगे बढ न सके...
आज भी मुकाम है उनका इतना ..
चाहकर भी आजतक नज़रे उठा न सके.
पाने से खोने का मजा और है..
बंद आंखों में रोने का मजा और है..
आंसू बने ग़ज़ल और इस ग़ज़ल में आप के होने का मज़ा कुछ और है...
खोज सको तो खोज लो अपने आप को मेरे शब्दों मैं
सिर्फ़ आप का ही नाम बिखरता जाता है
पलक

Tuesday, January 6, 2009

बेजुबान एहसास

जो करता है तुमसे प्यार
वो ही देता है तकलीफ हज़ार
उसके दिल में होता है
तुम्हारी हर बात के लिए इकरार
करो तुम चाहे उस से कितना भी इनकार
लगेगा वो तुम्हे प्यारा हर बार
रूठ जाओगे तोह मनायेगा वो
हर बात पर तुमसे करेगा तकरार
पर एक बार उस से कह कर देखना
जिंदगी भर करेगा तुम्हारा इन्तेज़ार
तुम्हारे हर दुःख को अपनाकर
देगा तुम्हे खुशियाँ हज़ार
करेगा तुम्हारी हिफाज़त कुछ वैसे ही
जैसे फूलों की हिफाजत कांटे करते है हर बार
पलक