Monday, January 17, 2011

क्या हो तुम...!!!!!



तुम क्या हो ?
मेरी मुस्कुराती शायरी के लव्ज़ हो तुम
ख्वाबों के मंज़र का खिलता गुलाब हो तुम
महक रही है फिजा भी छू कर
किसी चमन में आई वो बहार हो तुम.

अधूरी है मेरी हर नज़्म तुम्हारे बिना,
मेरी ग़ज़ल का वो आखिरी अल्फ़ाज़ हो तुम
जिंदगी क हर मोड़ पर जिसे पाने की हसरत हे,
वक़्त का वो खूबसूरत लम्हात हो तुम;
कितनी फीकी थी इन लबों की हसी तेरे बिना

मेरे लबों पर खिली वो मुस्कान हो तुम;
सींचा हे जिस से मेने इस वीरान चमन को,
मेरी आँखों से छलकता वो जाम हो तुम,
क्या नाम लेकर पुकारूं तुम्हे
मेरी थमती सांसों की आखिरी शाम हो तुम..

Sunday, January 9, 2011

तुम से है ...!!!!


ए मेरी ज़िन्दगी के हमसफ़र,
मेरी धडकनों में रवानी तुम से है.
तेरी हर ख़ुशी से ख़ुशी है मेरी,
और आँखों में पानी तुम से है.
मैं पल पल तड़पती हूँ तेरे लिए,
मेरी यह जिन्दगानी तुम से है.
मैं हर बात सौचती हूँ तेरे लिए ही,
मेरे जज़्बात- ऐ -रूहानी तुम से है.
मेरा नसीब है के तुम मिल गए मुझे,
यह कुदरत की मेहरबानी तुम से है.
मैं तेरे ही प्यार में पागल हूँ,
मेरी हर अदा दीवानी तुम से है.
मेरी हर सुबह तेरे नाम से होती है,
मेरी हर शाम दीवानी तुम से है.
तुम एक उम्र की बात करते हो,
मेरे तो हर जनम की कहानी तुम से है