Tuesday, September 2, 2008

आग का दरिया....

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हसीं लम्हों का सूनापन
उल्जा उल्जा सा मेरा मन
कभी भूल नही पाउगी मैं तुम्हे
पानी का वो मौज तक आना
हर साँस को गीला कर जाना
कही पर छोड़ आई हु मैं
यादों के सफर पीछे रह गए और.......!!!!!
कल साथ ले आई हु मैं
बयां करू मै कोन सा ख्याल
बेचैन दिल से किया सवाल
मेरे पास तो रह गया है सिर्फ़
शब्दों का जरियां ..
एक पल मै जी आई हु मैं
तेजाब की बूंदे बारिश मै कल
जलाये आखों मैं वो हसीं पल
न रोक सही कल मैं उसे
रत भर सुलगती रही ऐसे ही उस मैं
जाने फिर कब ऐसे बरसात हो
याद रहेगा उमर भर वो
वो बारिश ...
वो बूंदे ...
वो पानी.....
और वो....आग का दरिया....






palak

2 comments:

Anonymous said...

याद रहेगा उमर भर...
...तेरा प्यार

Pearl...

Dr. Ravi Srivastava said...

ये दुआ है अतिशे इश्क़ मे

के तू मेरी तरह से जला करे

ना नसीब मे शरबत-ए-वस्ल हो

सदा ज़हर-ए-गम तू पीया करे

तेरे सामने तेरा घर जले

तेरा बस चले, तू बचा ना सके

ना खुदा दिखाये तुझे खुशी

आये खैर से वो भी दिन

तुझे चैन ना आये मेरे बिन

ना लगाऊ मै तुझे गले

मिनते तू मेरी किया करे