Wednesday, May 23, 2018

वो देखो
दरवाजे के इधर कोने पर तो खड़ी हू मैं
बात करो मुझ से
अरे
जल्दी कहो जो कहना है
ज्यादा देर ठहरी तो ये रात गुज़र जानी है
बस रात भर का ही तो ये सपना है
सुबह फिर से तेरी याद आनी ही
चलो जल्दी कहो
मुजे जाना है
सपनो की दुनिया से निकल कर हक़ीक़त मैं