Wednesday, September 26, 2018


तुम!!! खुद को कम मत आँको,
खुद पर गर्व करो।

क्योंकि तुम हो तो
थाली में गर्म रोटी है।

ममता की ठंडक है,
प्यार की ऊष्मा है।

तुमसे, घर में संझा बाती है
घर घर है।

घर लौटने की इच्छा है...

क्या बना है रसोई में
आज झांककर देखने की चाहत है।

तुमसे, पूजा की थाली है,
रिश्तों के अनुबंध हैं
पड़ोसी से संबंध हैं।

घर की घड़ी तुम हो,
सोना जागना खाना सब तुमसे है।

त्योहार होंगे तुम बिन??
तुम्हीं हो दीवाली का दीपक,
होली के सारे रंग,
विजय की लक्ष्मी,
रक्षा का सूत्र! हो तुम।

इंतजार में घर का खुला दरवाजा हो,
रोशनी की खिडक़ी हो
ममता का आकाश तुम ही हो।

समंदर हो तुम प्यार का,
तुम क्या हो...
खुद को जानो!

उन्हें बताओ जो तुम्हें जानते नहीं,
कहते हैं..
तुम करती क्या हो??!!!

Monday, September 3, 2018

Meeting Him After Months❤️❤️❤️

Since the day of the confirmation leave you start counting days and add an extra plan to your to-do-list every second day. The wait which had prevailed for months seem longer in those final moments as you can't wait more to see him right in front of your eyes. But let me remind you, the more you become restless, the more time expands as you keep having a look at your watch every passing second.

As the long wait finally comes to end, all your complaints, allegations and anger vanish. It's the helplessness while being apart, that keeps triggering your mood. The moment you're assured that he's going to be with you for couple of days or a month (if luckier), you forget every little fight and argument which might have taken place while he was away.

From buying stuffs from him to preparing his favourite dishes; from making a list of all the movies which you skipped watching as he also couldn't watch them to download them so that you can watch them together; you don't leave a single stone upturned to assure that everything is pretty perfect.

Knowing that his flight will reach around 1700 hours or so, yet waiting since 1600 hours just in case if miracle happens and he comes early. Everything around you turns as magical as spring after a long winter.

And the moment he comes out with a big smile of face your world stops at that one glance.

Meeting hims after months make magic happens.

Saturday, September 1, 2018

मुझको ढूंढ ही लेती है रोज एक नए बहाने से..

तेरी याद वाकिफ हो गई है मेरे हर ठिकाने से...!!!

Sunday, August 19, 2018

आशिक़ी की किताबों में,

ये अनलिखा करार होना चाहिए,

इश्क़ के हिस्से में भी तो जनाब,

इतवार तो होना ही चाहिए.......

Thursday, August 9, 2018

कुछ है शिकायत खुद से,
कुछ है मायूसी सी खुद से,
शायद रखना चाहता हूँ
थोड़ी बहुत मायूसी मैं खुद ही ..

थोडा थोडा चुप सा आकाश खुद ही देखना चाहता हूँ या,
खुद ही वक़्त के बीच आकाश को इधर उधर गुम भी कर देना चाहता हूँ..
फिर पता नहीं कैसे क्लासरूम की खिड़कियों के बीच..
उड़ते बादलों के नैन-मटक्के स्पार्क करते हैं..
च्छ्ह्ह च्छ्ह्ह करते करते बादल
थोड़ी शरारत तो अफ्फोर्ड करवा ही देते हैं..
फिर उसके बाद खेल और नैन-मटक्का शुरू..

टेबल पर ढेर सारे अखबारी कतरनों और रफ़ कागज़ों पर,
कटिंग-ओवरराइटिंग करते करते,
बस यूँ ही स्याही रंगीन करता जाता हूँ..
नाम तेरा और बातें मेरी..
बातें जो अब तक वक़्त के कैलेंडरों के मद्धिम आंच पर सुलगते रहे ..

हम चुप हैं कि दिल सुन रहे हैं वाला गाना गुनगुना लेता हूँ..
फिर अचानक से दुनियादारी के आहटों के बीच सकपकाते हुए हडबडाते हुए
रफ़ कागजों को तितर-बितर करते हुए समेटने लगता हूँ..
और रफ़ कागज़ों में में सुर्ख रंगीन स्याही मेरी उँगलियाँ खींचती रहती हैं..

दबी सी हंसी के बीच..
पिन-ड्राप-साइलेंट वाले क्लास के बीच दबी सी हंसी ..
कोई कमी'ना छोड़ना है
कोई कमी'नी छोड़नी है टाइप शरारत स्याही और उँगलियों के बीच..
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम वाला गाना गुनगुनाते हुए..
मायूसी को थोडा न्यूट्रल करते हुए..
बस जिंदगी का माहौल बनाये रखता हूँ..

एक बात तो बताई ही नहीं,
कतरन कहीं गुम हो गया है,
लेकिन मैंने एक जगह ये भी लिखा था कि
" ऐसा तुम भी करती हो क्या".....

Anonymous

जो बात वहाँ से भी कभी बताई नहीं गई वो कुछ यूँ हुआ करती थी..

बैंच पर वो पेन घूँट घूँट कर लिखे तेरे नाम की हाथ में उल्टी छाप बना दिया करती थी और ना जाने किताब के कितने पन्ने वो आखरी पन्ना बनकर फट्ता गया जिसपे ना जाने कितने दिलके दो हिस्से बनाकर 2 अक्षर लिखा करती थी एक तेरा एक मेरा..

उम्र ज़रूर बढ़ती जाती है लेकिन जो हमेशा यौवन रहता है वो इश्क़ है.. जैसे माँ बाबा उनके ज़माने के गाने सुनते ही फिर से उस दौर में चले जाते है वैसे ही हम भी 90's के दौर में जाते ही वो टीन एज महसूस करने लगते है.. क्यूँकी दिल्लगी की कोई उम्र नहीं होती और जो उम्र के साथ दबाई जाये वो दिल्लगी नहीं एक समझौता है..

मायूसी को न्यूट्रल करने से अच्छा है कुछ पल फुर्सत के खुद के लिये जी ले..
माहौल बनाना और माहौल बन जाना में कितना अंतर है ये खुद आपका अंतर आपको बता ही देगा..

आज भी एक जगह वो नाम लिख देती हूँ बस अब कागज़ या हाथ नहीं होता क्यूँकी बात सीधी अब मन की है और चुपके से उसको इशारा करते हुए मुस्कुरा देती हूँ कि
"हां मैं भी ऐसा करती हूँ" ❤

- YJ

Friday, July 20, 2018

उस दौर की तो साहब चीजें भी वफादार हुआ करती थीं..

मेरी साइकिल की चेन उतरती थी बस एक ही घर के आगे....

Saturday, July 14, 2018

एक अंतिम दिन लिखने की रोज कोशिश करती हूँ लेकिन तेरे मोह ने मुझसे लिखना भी भुला दिया।

वो आख़री दिन, मेरी प्रतीक्षा में हर रोज़ ज़िन्दगी से एक और दिन की मोहलत मांग लेता है और मैं तुम्हारे इंतज़ार में उसे बेफ़िजूली से खर्च कर देती हूँ।

ये दिन बहुत सुनहरे हो सकते थे....गर ये इंतज़ार न होता....

Friday, July 13, 2018

मौसम आज फिर हसीन बन गया

जब एक इंसान में इंसानियत दिख गई 

Monday, July 9, 2018

वो मरने से पहले एक बार जी लेना

इसी को कहते हैं इश्क़ कर लेना...!!!

Sunday, July 8, 2018

उउफ्फ्फफ़ शरारती ठंड मे......

जिद्दी धूप सा है तुम्हारा इश्क......!!!!!

Wednesday, May 23, 2018

वो देखो
दरवाजे के इधर कोने पर तो खड़ी हू मैं
बात करो मुझ से
अरे
जल्दी कहो जो कहना है
ज्यादा देर ठहरी तो ये रात गुज़र जानी है
बस रात भर का ही तो ये सपना है
सुबह फिर से तेरी याद आनी ही
चलो जल्दी कहो
मुजे जाना है
सपनो की दुनिया से निकल कर हक़ीक़त मैं

Monday, April 9, 2018

कल इक झलक देखी जिंदगी की,


वो मेरी राहों में गुन-गुना रही थी,


फिर ढूंढा उसे इधर से उधर,


वो आँख मिचोली कर मुस्करा रही थी,


एक अरसे बाद आया मुझे करार,


वो सहला कर मुझे सुला रही थी,


हम दोनों क्यूँ खफा हैं इक-दूजे से,


मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,


मैंने पूछ लिया, क्यूँ दर्द दिया जालिम तूने?


वो बोली, मैं जिंदगी हूं पगले,


तुझे जीना ही तो सिखा रही थी...


Sunday, March 25, 2018

विदाई


एक फौजी की छुट्टियां खत्म होने पर घर से विदाई के भावुक क्षण

"बैग की बाहर वाली चैन में टिफिन रखा है, रस्ते में खा लेना याद करके, अबकी बार भूले तो लड़ाई हो जायेगी हम दोनो की"-उसने गुस्से वाले अंदाज में बोला फिर अलमारी से कपड़े निकाल के सुटकेश में रखते हुये टॉवल को लम्बी सांस में सूंघा ओर उसको साइड में रखते हुये

"ये आपका यूज किया हुआ टॉवल मैं रखुंगी आपकी ख़ुश्बू आती रहेगी ।
नया टॉवल रख दिया है सबसे नीचे वाली तह में निकाल लेना जाके ।

पैकिंग खत्म हो गयी थी पर बैग को छोड़ने को मन नही कर रहा था , जैसे वो चाहती है उसे रोकना ,पर रोक भी नही सकती ,
इधर उधर तेजी से घूम रही है जैसे कुछ खोया है ओर किसी को बता भी नही सकती!

उसके पति ने कपड़े पहन लिये थे, और एक जूता भी । वो झट से बैठी ओर लैश कसते हुये, "और हां मुझे याद तो बिल्कुल भी मत करना, सारा काम करना होता है घर का,आप याद करोगे तो मेरा काम में मन नही लगेगा । फिर , आपकी मां को तो आप जानते ही हो , आपके जाते ही रोज लड़ाई करेगीं मुझसे । पर, आप चिंता ना करना वो कुछ बोलेंगी ,तो भी मैं सुन लुंगी।
आप बस अपना ख्याल रखना । हर तीसरे दिन बच्चो के जैसे जुकाम लगा लेते हो! ( आंसूओ की बारिश में जैसे जहाँ डूब जाये )
"शशशश् पागल रोते नही । तु एक फौजी की बीवी है , ऐसे रोते नही।
" (गले से लगाते हुये )"हाँ" रुंधे गले से (और वो उसका माथा चूम के कमरे से बाहर निकला ।
फिर वो भारी मन से रखने लगी अपने कपड़े, गहने ओर मेकअप वापिस संदूक में ,जो उसके, पति के पास होने पर ही सजते हैं ,ये फिर तभी निकलेगें जब वो अगली बार आयेगा!!

पल.........

Thursday, March 15, 2018


मेरी बेवजह बेसबब की यूँ ही सी बातें
तुम्हें यूँ हीं कभी बेवक्त याद आयेंगी
जैसे मैं तुम्हारी ज़िंदगी में
यूँ ही अचानक आ गई।

Sunday, March 4, 2018


जब तुम्हें लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो मन से लिखता हूँ
तुम्हारे मन में
बैठकर लिखता हूँ  ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो जतन से लिखता हूँ
हर शब्दों को
चखकर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो बसंत लिखता हूँ
होली के रंग में
तुम्हें रंगकर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो पुरवाई लिखता हूँ
तुम्हारी आस में
अपनी प्यास लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो दिल खोलकर  लिखता हूँ
न जाने कितने सारे
बंधन तोड़कर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो खुशी लिखता हूँ
आँख की नमी को
तेरी कमी लिखता हूँ ।

              

Sunday, February 25, 2018

हर मुलाकात में महसूस यही होता है,

मुझसे कुछ तेरी नजर पूछ रही हो जैसे...!!!

Friday, February 23, 2018

महोब्बत में नही है फर्क जीने और मरने का...

उसी को देख कर जीते है जिस काफिर पे दम निकले....

Wednesday, January 10, 2018

नारी


तू चंदन से बनी,
तू केसर से बनी,
तू गुलाब की काया है
ये इतना सौंधापन,
ये इतनी महक,
सब तेरी ही माया है
तू श्लोकों से बनी,
तू ऋचाओं से बनी,
तू ही वेद-पुरान है
ये कालिदास की कला,
केशव का काव्य सब तेरा ही दान है
तू धरम से बनी,
तू करम से बनी,
तू ही पुण्यप्रताप है
ये कृष्ण की राधा,
ये राम की सीता,
सर्वत्र तेरा ही जाप है
तू गंगा से बनी,
तू जमुना से बनी,
तुझमें नर्मदा समाई है
ये शिव अभिषेक,
ये कुम्भ स्नान,
सबमें तेरी ही परछाई है
तू लौह से बनी,
तू स्वर्ण से बनी,
तू अद्वितीय प्रतिमान है
ये देश गौरव,
ये संसार का सातत्य,
तेरा ही वरदान है
तू प्रीत से बनी,
तू संयम से बनी,
तू ही भाग्य विधाता है
ये गर्भस्थ शिशु,
ये वीर पुरुष, तू ही सबकी दाता है .....

-डॉ. मधुसूदन चौबे

Saturday, January 6, 2018

अधूरी सी कहानी दिल

की और पूरा प्यार तुम,

गीली पलकों की नमी

और बेरहम याद तुम,

अनछुआ दिल का कोना

और रुह मे घुला एहसास

हो सिर्फ तुम।