Tuesday, November 10, 2009

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,


ख्वाब तेरे सजाके बैठी है,

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,

एक ताज़ा ग़ज़ल जुदाई की ,

रात मुज को सुना के बैठी है ,

जिंदगानी की राह पैर हर सू,

बेबसी सर उठा के बैठी है ,

आँख बरसो से किस का गम यारों ,

आज तक यु छुपके बैठी है ,

एक अनजाना चेहरा उगली दातों तले,

जाने कब से दबाके बैठा है....


पलक


Tuesday, November 3, 2009

पूछु क्या तुज से ,अब ना मैं तेरी चाहत मैं शामिल....


मैंने उससे एक इशारा किया
उसने सलाम लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
उसने चाँद लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हे क्या चाहिए?
उसने सारा आसमान लिख के भेजा.
मैंने पूछा कब मिलोगे?
उसने कयामत की शाम लिख के भेजा.
मैंने पुछा किस से डरते हो?
उसने मुहब्बत का अंजाम लिख के भेजा
.
मैंने पूछा तुम्हे नफरत किस से है?
उसने..मेरा ही नाम लिख के भेजा…