Sunday, March 25, 2018

विदाई


एक फौजी की छुट्टियां खत्म होने पर घर से विदाई के भावुक क्षण

"बैग की बाहर वाली चैन में टिफिन रखा है, रस्ते में खा लेना याद करके, अबकी बार भूले तो लड़ाई हो जायेगी हम दोनो की"-उसने गुस्से वाले अंदाज में बोला फिर अलमारी से कपड़े निकाल के सुटकेश में रखते हुये टॉवल को लम्बी सांस में सूंघा ओर उसको साइड में रखते हुये

"ये आपका यूज किया हुआ टॉवल मैं रखुंगी आपकी ख़ुश्बू आती रहेगी ।
नया टॉवल रख दिया है सबसे नीचे वाली तह में निकाल लेना जाके ।

पैकिंग खत्म हो गयी थी पर बैग को छोड़ने को मन नही कर रहा था , जैसे वो चाहती है उसे रोकना ,पर रोक भी नही सकती ,
इधर उधर तेजी से घूम रही है जैसे कुछ खोया है ओर किसी को बता भी नही सकती!

उसके पति ने कपड़े पहन लिये थे, और एक जूता भी । वो झट से बैठी ओर लैश कसते हुये, "और हां मुझे याद तो बिल्कुल भी मत करना, सारा काम करना होता है घर का,आप याद करोगे तो मेरा काम में मन नही लगेगा । फिर , आपकी मां को तो आप जानते ही हो , आपके जाते ही रोज लड़ाई करेगीं मुझसे । पर, आप चिंता ना करना वो कुछ बोलेंगी ,तो भी मैं सुन लुंगी।
आप बस अपना ख्याल रखना । हर तीसरे दिन बच्चो के जैसे जुकाम लगा लेते हो! ( आंसूओ की बारिश में जैसे जहाँ डूब जाये )
"शशशश् पागल रोते नही । तु एक फौजी की बीवी है , ऐसे रोते नही।
" (गले से लगाते हुये )"हाँ" रुंधे गले से (और वो उसका माथा चूम के कमरे से बाहर निकला ।
फिर वो भारी मन से रखने लगी अपने कपड़े, गहने ओर मेकअप वापिस संदूक में ,जो उसके, पति के पास होने पर ही सजते हैं ,ये फिर तभी निकलेगें जब वो अगली बार आयेगा!!

पल.........

Thursday, March 15, 2018


मेरी बेवजह बेसबब की यूँ ही सी बातें
तुम्हें यूँ हीं कभी बेवक्त याद आयेंगी
जैसे मैं तुम्हारी ज़िंदगी में
यूँ ही अचानक आ गई।

Sunday, March 4, 2018


जब तुम्हें लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो मन से लिखता हूँ
तुम्हारे मन में
बैठकर लिखता हूँ  ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो जतन से लिखता हूँ
हर शब्दों को
चखकर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो बसंत लिखता हूँ
होली के रंग में
तुम्हें रंगकर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो पुरवाई लिखता हूँ
तुम्हारी आस में
अपनी प्यास लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो दिल खोलकर  लिखता हूँ
न जाने कितने सारे
बंधन तोड़कर लिखता हूँ ।

जब तुम्हें लिखता हूँ
तो खुशी लिखता हूँ
आँख की नमी को
तेरी कमी लिखता हूँ ।