Thursday, November 6, 2008

बादल और चाँद ....!


चाँद की चाहत मैं देखो आवारा बदल हुआ
दो नैनो की चांदनी से बेचारा घायल हुआ

चाँद को जी भर के देखा जब उस ने पहली बार
ताकता ही रह गया दिल उस का कायल हुआ

तारों का आचल समेटे चाँद जब उठ कर चला
साज़ - ऐ - धड़कन लेके दिल पैरों की पायल हुआ

मुस्कुरा के चाँद ने जब मुडके देखा एक नजर
बदल की हालत न पूछों वो तो बस पागल हुआ.....

पलक

2 comments:

Anonymous said...

ye aapne kisike liye likha hai kya? Mujhe to lagta hai ye kisi aur ke maan ke khayal aapne yaha likhe hai!

Pearl...

Anonymous said...

ye to mere maan ki baat likh di aapne...!

Pearl...