Sunday, February 20, 2011

हसरत तुज़े पाने की .....!!!!


टूटे हुए खवाबों में हकीक़त ढूढती हु ,
पत्थर के दिलों में मोहब्बत ढूढती हु .
नादान हूँ में अब तक यह भी नहीं समझी ,
बेजान बातो में इबादत ढूढती हु .
मेरे जज्बातों की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं ,
बेईमानी के बाजारों में शराफत ढूढती हूँ .
इस अजनबी दुनिया में कोई भी अपना नहीं ,
गैरों की आँखों में अपनी सूरत ढूढती हूँ .
उम्मीद की थी प्यार की बस येही भूल थी मेरी ,
गिरते हुए अश्कों में अपनी हसरत ढूढती हूँ

Thursday, February 10, 2011

अंजामे - ऐ - महोब्बत क्या होगा ..!!




मुझपर और इलज़ाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
सुरूर भरा जाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर ग़ज़ल में मैं लिखता हूँ तुझको
और मेरा पैगाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर वक़्त तेरे सजदे में हूँ मैं पड़ा
इस से बड़ा सलाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



इकरार तो कर लिया हमने मोहब्बत का
जाने अब अंजाम - - मोहब्बत क्या होगा



चल निकले संग तेरे हम नयी सुबह को
कौन जाने शाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



यूह नज़र घडाए देख रहे यह दुनिया वाले
जाने अब अपना नाम-ऐ मोहब्बत क्या होगा



तय कर लिया हैं काटों का सफ़र, पर जाने
अब अगला इख्तेहाम-ऐ -मोहब्बत क्या होगा



लम्बा है यह सफ़र, टेडी- मेढ़ी है डगर
कौन जाने मुकाम- ऐ -मोहब्बत क्या होगा