Tuesday, November 25, 2008

Tujh Mein Rab Dikhta...

Na Kuch Poocha, Na Kuch Manga
Tune Dil Se Diya Jo Diya
Na Kuch Bola, Na Kuch Tola
Muskura Ke Diya Jo Diya
Tu Hi Dhoop, Tu Hi Chau
Tu Hi Apna Paraya
Aur Kuch Na Janu, Bas Itna Hi Janu
Tujh Mein Rab Dikhta Hai, Yaara Mein Kya karu


Sajde Sar Jhukta Hai, Yaara Mein Kya Karun
Tujh Mein Rab Dikhta Hai, Yaara Mein Kya Karun

यादें ...


यादें ... हकीकत से हसीं होती है ,
ये जो तेरे खयालो से सजी होती हैं ,
कभी तुम ख़ुद को मेरी नजर से देखो ,
मेरी हस्ती, मेरा एतबार.. सब तुज से ही तो है ,
तू जो आता है.. चला जाता हैं, याद आता है ..
ये जिन्दगी ..तुज पे सदके जीना सिखा दिया...
वरना कुछ और गुजर जाती ख़ुद से बेखबर ...
जो तेरे साथ न गुजरा होता ....

पलक

Saturday, November 15, 2008

रहनुमाई

कसम हैं जो..उस ने कसम निभाई हो
चोट फूलो से कभी .. पथ्हरों ने खाई है
मत पूछिए..अंजामे रहगुजर ..
जब की दुश्मनो की रहनुमाई हो..!!

Friday, November 14, 2008

बस इतना ही तो चाहा था .....


बस इतना ही तो चाहा था .....
तेरे आँचल में मैं सो जाऊँ....
बस इतना ही तो सोचा था...
तेरी आँखों में बस जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे सपनो में मैं खो जाऊँ....बस इतना ही तो सोचा था
तेरे गीतों के बोल में बन जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरे लबों की मुस्कान मैं बन जाऊँ ....
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे अश्को में मैं घुल जाऊँ....
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....
बस इतना ही तो चाहा था
तेरी हर सांस में मैं मिल जाऊँ...
बस इतना ही तो सोचा था
तेरे हर सपने को साकार मैं कर पाऊं...
क्या इतना गलत चाहा था, क्या इतना बुरा सोचा था.....

one of my favourite poem from " meri Poems" so i post here...

jis ne bhi likhi hai bahut sunder likhi hai ....

Wednesday, November 12, 2008


यूँ जमाने मैं क्या नही होता,
बस तू ही मेहरबा नही होता ,


वो ही मिलना , वो ही हसना , वो ही बातें करना ,
दिन मैं कुछ भी नया नही होता ,


यूँ तो सिर्फ़ होती हैं तुजे सारे जमाने की ख़बर ,
सिर्फ़ इस दिल का पता नही होता ,


जुकती पलके तेरी चाहत की ख़बर देती हैं ,
इश्क फ़िर क्यों जावा नही होता ,


कहना ग़र मुस्किल हैं लब से, तो कोई बात नही ,
आखों से क्या क्या बयां नही होता ,


ऐसी देरी भी मुनासिब नही उल्फत के खेल मैं ,
वक्त का कुछ गुमा नही होता .....!!!!!!!!!!


पलक

Monday, November 10, 2008

Kaise batau ...!!!!


Kaise batau main tumhe,
ke tum mere liye kaun ho?

mere mann tum ho,
mere meet tum ho,
mere chehare pe jo muskurahat lati ho,
mere liye woh geet tum ho...

mera samay tum ho,
mera theharao tum ho
meri raah tum ho,
meri manzil tum ho...

mera sagar tum ho,
mera sahil tum ho,
jo zindagi ki saari thakaan mita de,
mere liye woh nazara tum ho...

ab kaise batau main tumhe,
ke tum mere liye kaun ho...

meri baatein tum ho,
meri khmoshi tum ho,
meri muskaan tum ho,
mere ansun tum ho...

mera hosh tum ho,
meri bekhudi tum ho,
meri mehfil tum ho,
meri tanhaee tum ho,
mera khwab tum ho,
is dil ka armaan tum ho...

meri saanse tum ho,
meri ankhen tum ho,
mera dil tum ho,
meri dhadkan tum ho...

an main tumhe kaise batau,
ke tum mere liye kaun ho?
meri to shuruwaat bhi tum ho...
aur mera anth bhi.....

Saturday, November 8, 2008

वो लड़की कितनी भोली थी...


क्या चेहरा था, क्या आखे थी ....
क्या मासूम सी बोली थी ..
वो लड़की कितनी भोली थी .....
मानो ताज़ा फूल खिला हो ,
जब उसने पलके उठाई थी ,
बुलबुल जैसे चेह्का करती , कलियों जैसे मुस्काती वो ,
आखों मै दीपक से जलते, खुशियों की रंगोली वो..
जाने क्या क्या वो बाते करती, जाने क्यों वों शर्मा जाती ,
"तुम मुझे प्यारे हो " कह कर कितना वो शरमाई थी ,
मैने कहा दुनिया वालो के तिरो से बचना ...
"मुजपर क्यों कोई करेगा वार..? " हस्ते हस्ते वो बोली थी ..
एक दिन एक मदमस्त नजर ने उसका हसना छीन लिया ,
फूल तुम्हारा हो गया धूल रोते रोते वो बोली थी ..
मैंने कहा सिंदूर है तुम्हारी हसी की चाबी..
वो रोते रोते हस पड़ी थी ......
वो लड़की कितनी भोली थी ... वो लड़की कितनी भोली थी...



पलक

Thursday, November 6, 2008

बादल और चाँद ....!


चाँद की चाहत मैं देखो आवारा बदल हुआ
दो नैनो की चांदनी से बेचारा घायल हुआ

चाँद को जी भर के देखा जब उस ने पहली बार
ताकता ही रह गया दिल उस का कायल हुआ

तारों का आचल समेटे चाँद जब उठ कर चला
साज़ - ऐ - धड़कन लेके दिल पैरों की पायल हुआ

मुस्कुरा के चाँद ने जब मुडके देखा एक नजर
बदल की हालत न पूछों वो तो बस पागल हुआ.....

पलक

Wednesday, November 5, 2008

मुझे प्यार हुआ जाता है ......!!!!

रात दिन चेहरा तेरा आखों मैं जगमगाता हैं ,
सोचती हूँ क्या मुझे प्यार हुआ जाता हैं,
जब कभी नजरें मेरी मिलाती हैं तेरी नजरों से ,
जाने क्या बात है दिल खूब मुस्कुराता हैं,
मेरा है शौक युही तनहा - तनहा रहना ,
दिल मगर संग तेरे महफिल जमता हैं ,
ऐसा कुछ है तुज मैं .. ऐसा कुछ हैं मुज मैं,
जो मुझे तेरी तरफ़ बाध्य लिए जाता हैं,
ऐसे बेताबी का और क्या मतलब हैं,
हम हर रोज तेरे दर पर चले आते है ..

हां...! ये सच हैं की मुझे प्यार हुआ जाता है ......!!!!


पलक

Monday, November 3, 2008

मिलन अब के .......

नया है चाँद , सितारे नए है , रात नई है
मेरी आखों मैं सजी ख्वाबों की बारात नई हैं
एक जमाने के बाद आज मिलेगे हम से
जाने क्या रंग दिखायेगी मुलाकात नई
पहले मिलते थे तो देते थे एक हसीं गुलाब हमें,
देखिये लाते है क्या आज वो सोगात नई
ना गिले होगे , ना शिकवे होगे , ना कोई शिकायत ,
खिलखिलाएगी महोब्बत से हरेक बात नई
दिल ठिकाने पर है , धड़कन है ठीक अपनी जगह
डर हैं आखों से ना कर दे कोई बरसात नई .....

पलक

Sunday, November 2, 2008

मासूम महोब्बत ....


ये मुश्किल है ,
की भूल जाऊ तुजे ,
ये भी मुमकिन है ,
पा ही जाऊ तुजे ,
तू जहा है वहा ,
बात जाती नही ,
और वहा से ख़बर ,
कोई आती नही ....

तू बहुत दूर है ,
हां..! बहुत दूर है ,
मुजको मालूम है ,
तू बहुत दूर है ,
मगर क्या करे ,
दिल से जो हम मजबूर है .........