Monday, December 27, 2010

ग़ालिब के चंद लव्ज़ .... !!


ना था मैं तो खुदा था ,
कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
मिटाया मुझ को होने ने,
ना होता मैं तो क्या होता

दिल से तेरा ख्याल ना जाये तो क्या करू
तू ही बता .... एक तू ही याद ए तो क्या करू
हसरत ये है की तुजे एक नज़र देख लू
किस्मत अगर वो दिन ना लाये तो क्या करू


हर बात पर कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्ही बताओ यह अंदाज़-इ-गुफ्तगू क्या है
रगों मै दौड़ाने के हम नहीं कायल
जो आँख ही से ना टपका वोह लहू क्या है

दिल-ऐ -नादाँ तुझे हुआ क्या है ?आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वोह बेजार्य इलाही ! यह माजरा क्या है ?



मेरा एहसास ....!


दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसे लगेगी
ख्वाबो मै जैसा मैंने देखा तू बिलकुल वैसी लगेगी
गोरे हाथो मै मेहँदी भी बड़ी गहरी चढ़ेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू बिलकुल परी सी लगेगी

होश खो जायेगे तेरा दीदार करने वालो के
जब तेरे माथे की बिंदिया तेरे जैसी चमकेगी
जब तेरे हाथो मै चुडिया खनकेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू क़यामत लगेगी


सज कर आयेगी जब तू सब के रूबरू
ज़माने की नज़र तेरा पीछा करेगी
काजल को अखो मै सजा कर निकलना
इस से तू बुरी नज़र से बचेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू हसीं लगेगी


शर्म - ऐ - हया से जब तू मुज को देखेगी
ना रह पाऊंगा तुजे देखे बिन
उस रात ये आख कैसे लगेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसी लगेगी




Friday, December 24, 2010

कसक .... !




तेरी तस्वीर मेरी आँखों में बसी क्यूँ है
जिधर देखो बस उधर तू ही क्यूँ है

तेरी तकदीर से जुडी मेरी तकदीर है लेकिन
तुझे ना पा कर मेरी तकदीर रूठी क्यूँ है

मुझ को है खबर यु आसान नहीं तुझे हासिल करना
फिर भी यह इन्तिज़ार यह बेकरारी क्यूँ है

बरसों गुज़र गए मेरे तन्हाई में लेकिन
मेरी बांहों को आज भी तेरा इन्तिज़ार क्यूँ है

तेरी चाहत की कसम सहे मैंने हर इलज़ाम -ऐ - इश्क
अब नहीं है कुछ बाकी फिर यह जान बाकी क्यूँ है

ख़तम हुआ अब मेरा यह अफसाना एक बात बतादू लेकिन
अंजाम - ऐ - इश्क है मालूम मुझे फिर यह मुहब्बत क्यूँ है

Wednesday, December 22, 2010

संवेदना...!


उस कि याद मै गुज़रति मेरी हर शाम थी
मेरे दिल से निकलि हर दुआ उस के नाम थी
अब मुजे इल्ज़ाम् न दो बेवफा का यारो
मेरे हाथो कि लकिरो मै वफ़ा आम थी
क़दर् पूछो उनसे जो करते है महोब्बत कि पूजा
सिर्फ़ उसके शेहेर मै मोब्बत मेरी बदनाम थी
palak

Wednesday, November 17, 2010

क्या इसे जिन्दगी कहते है..?


दिल मेरा पूछता है ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है

जरा मुड के देख यहाँ


ना त्यौहार सँभालते है ना सम्बन्ध संभलते है

दिवाली हो या होली सब ऑफिस मै ही अब मनाते है

ये सब तो ठीक है पर हद वहा होती है

शादी के कार्ड मिलने पर गोद भराई मै भी शायद ही जा पाते है

दिल पूछता है ऐ मेरा , ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है


है तो पाच शून्य का पगार पर खुद के लिए पाच मिनट भी कहा है

पत्नी का फ़ोन पाच मिनट मै काटते है पर क्लाइंट का फ़ोन कहा काट पाते है

फोनेबूक भरी है दोस्तों से पर किसी के घर कहा जा पाते है

अब तो घर के फंक्शन भी हाफ डे मै मानते है

दिल पूछता है मेरा , ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है


किसी को पता नहीं ये रास्ता कहा जा रहा है

थके ही सब मगर सब वाही जा रहे है

किसी को सामने रुपिया तो किसी को डोलर दीखता है

आप ही कहिये दोस्तों क्या इसे जिन्दगी कहते है


पलक



Friday, November 12, 2010


जो आपने ना लिया हो, ऐसा कोई इम्तहान ना रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान ना रहा,

है कोई बस्ती, जहा से ना उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान ना रहा,

हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
ना हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान ना रहा,

जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान ना रहा,

जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान ना रहा !




Monday, October 25, 2010

खता ....!!!!


हम तुम मिले कोई मुश्किल ना थी
पर इस सफ़र की मंजिल ना थी
तुम से कभी जुड़ ना पायेगे
ये सोच के दूर तुम से हुए

हालात ही कुछ ऐसे थे
की रुखसत लेनी पड़ी
वरना
हम बेवफा हरगिज़ ना थे
तुम माफ़ कर दो
यही गुज़ारिश है

ये मज़बूरी का किस्सा
जब तुम सुनोगे
तो शयद तुम समज पाओ
की
क्यों हुए ये खता हम से
पलक

Monday, October 11, 2010

कब बदलता है ....जो कही दिल मै जिन्दा है ....


मुसाफिर तो बिछड़ते हैं
रफ़्तार कब बदलती है
मुहब्बत जिंदा रहती है
मुहब्बत कब बदलती है
तुम्ही को चाहते हैं और
तुम्ही से प्यार करते हैं
ये है बरसों की आदत और
आदत कब बदलती है

Tuesday, September 28, 2010


मेरी आँखों में मत देखो वर्ना नींद चुरा लुंगी
न दिल के करीब आओ वरना मोहबात सिखा दूंगी ,
गहरा हे आपसे रिश्ता इतना,
ख्वाबो में भी आये तो अपना बना लुंगी ...!

Wednesday, September 22, 2010

तुम तो नहीं हो...!!!


सुन ली जो खुदा ने दुआ,
वो तुम तो नहीं हो,

दरवाजे पे दस्तक की सदा,
तुम तो नहीं हो,

सिमटी हुई, शरमाई हुई रात की रानी,
सोई हुई कलियों की हया,
तुम तो नहीं हो,

महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें,
भीगे हुए मौसम की अदा,
तुम तो नहीं हो,

इन् अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा,
किस ने मुझे यु अपना कहा,
तुम तो नहीं हो...!!!

Friday, September 17, 2010

પ્રેમ .....!!!!!


શું તને ખબર છે ??

આભ માં થી જે ઝર મર ઝર મર વરસે છે

પછી વાદળ બની જે ધોધમાર વરસે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

હુફળી સવાર ના આકાશ માં જે ચમકે છે

ને રાતે શીતલ ચાંદની બની દમકે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

ખીલતી વસંત માં જે સુવાસ બની મેહ્કે છે

મૌસમ માં જે ચેહક ચહેકે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

ચંદ ચકોરી ને ફૂલ ભમરા ની જે પ્રીત છે

નદી ના વહેં માં વહેતું જે સંગીત છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

કઈ કેટલીયે વેદનાઓ જે હસતા મુખે સહે છે

ને તારી રાગ રાગ માં જે લોહી બની વહે છે

એ મારો જ તો પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

કઈ છૂપો નથી આખી દુનિયા ની એ સામે છે

છતાં જનમ જનમ થી જે ફક્ત તારા નામે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


આવ તને મળવું એનાથી શું તું એને ઓળખે છે

જે તારાથી પણ વધુ તને ઓળખે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે ...




Sunday, September 5, 2010

Hurt .....


Does the pain
Ever go away?
Of seeing your face
Day after day
Will you ever know
The depths I take
To try and show
We could be great
Do you see
The lies inside
That torture me
And this life?

But you’ll never see
You’ll never want me
And I’ll always be
Here for you to believe
I would die for you
Take my life at your word
But that won’t matter to you
And I’ll fade in your world

The anger I show
The hate I feel
It’s not for you
But because of me
I love you
More than just friends
I’ll die for you
In the very end
But I hate myself
For loving you
I wish I’d tell
You this too

But you’ll never see
You’ll never want me
And I’ll always be
Here for you to believe
I would die for you
Take my life at your word
But that won’t matter to you
And I’ll fade in your world

In my head
I see us there
Hand in hand
Something so rare
But reality stings
And the truth hurts too
Much more than
I thought it would
I love you so much
I only want happiness for you
I love you so much
I want him to be with you

But you’ll never see
You’ll never want me
And I’ll always be
Here for you to believe
I would die for you
Take my life at your word
But that won’t matter to you
And I’ll fade in your world

I’ll step aside
Be the friend
You’ll get that guy
Again and again
And me and you
Will just be close
Nothing more
That’s what you know

But you’ll never see
You’ll never want me
And I’ll always be
Here for you to believe
I would die for you
Take my life at your word
But that won’t matter to you
And I’ll fade in your world.

Tuesday, August 31, 2010

Saturday, August 28, 2010


क्या खूब एहसास है प्यार का

मन की अँधेरी मिटटी मै

पड़ा रहता है चुप चाप सा

पर जब किसी सूरज का

उष्म स्पर्श पाया

तोह चला आता है

वो अंधेरो की मिटटी से बहार

लहराता .... झूमता

सफ़ेद - पाक ... खुशबूदार
------प्यार -----


Tuesday, August 24, 2010



अपनी यादें अपनी बातें ले कर जाना वों भूल गया,

जाने वाला जल्दी मैं था मिल कर जाना भूल गया..

मुड मुड कर देखा था उस ने आधे रस्ते से मुझे ,

जैसे उसे कहना था कुछ ...जो वों कहना भूल गया.

वक़्त-इ-रुखसत मेरी आँखें पोंछ रहा था अंचल से,

उसको ग़म था इतना ज्यादा खुद वों रोना भूल गया
पलक

Saturday, August 7, 2010

बचपन ... कहा खो गया तू...!!!


-शायद ज़िन्दगी बदल रही है!!
जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..

मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था
वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...


जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी..

मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था, वो लम्बी "साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..

जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,

दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की
बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाई" करते
हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
होली, दिवाली, जन्मदिन , नए साल पर बस SMS आ जाते हैं
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..

जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,

छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिप्पी टीपी टाप.
अब इन्टरनेट, ऑफिस, हिल्म्स, से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद ज़िन्दगी बदल रही है.

जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर
लिखा होता है.
"मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते "

जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.
अब बच गए इस पल मैं..
तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं..
इस जिंदगी को जियो ना की काटो

Wednesday, August 4, 2010


पल ऐसा थी की हम इंकार ना कर पाए,
जामाए के डर से इकरार ना कर पाए...
ना थी जिनके बिना ज़िन्दगी मुनासिब,
छोड़ दिया उन्होने ..... और हम सवाल ना कर पाए...

Friday, July 30, 2010



बादलों के दरमियन कुछ ऐसी साजिश हुई..
मेरा मिट्टी का घर था वहीँ बारिश हुई..
फलक को आदत थी जहाँ बिजलिया गिराने की..
हमको भी जिद थी वहीँ आशियाना बनाने की

Thursday, July 29, 2010


ये उल्फतें भी अजीब हैं ये चाहतें भी अजीब हैं
कभी मिल के भी दूर हो कभी पास हो कर भी ना मिल सके
कभी याद आई तो बेशुमार कभी रो देये तो बेहिसाब
ये दिलो की हालतें भी अजीब हैं ये साज़िशें भी अजीब हैं..
कभी रंजिशें,कभी दुरियन,कभी मजबूरियां.
ये उलझनें भी अजीब हैं,ये मुश्किलें भी अजीब हैं..
ये ख्वाहिशे भी अजीब है ये हसरते भी अजीब है

Wednesday, July 28, 2010

महोब्बत हु.....!!!!


मैं साहिल पे लिखी हुई इबारत नही
जो लहरों से मिट जाती है
मैं बारिश की बरसती बूँद नही
जो बरस कर थम जाती है
मैं ख्वाब नही
जिसे देखा और भुला दिया
में शमा नही
जिसे फूका और बुझा दिया
में हवा का झोंका नही
जो आया और गुज़र गया
मैं चाँद भी नही
जो रात के बाद ढल जाए
मैं तो वो एहसास हूँ
जो तुझ मैं लहू बन कर गर्दिश करे
मैं तो वो रंग हूँ
जो तेरे दिल पे चढ़े कभी ना मिटे
मैं वो गीत हूँ
जो तेरे लबों से जुदा ना होगा
मैं तो वो परवाना हूँ
जो जलता रहेगा मगर फ़ना ना होगा
ख्वाब, इबारत, हवा की तरह
चंद, बूँद, शमा की तरह
मेरे मिटने का सवाल नही
क्यों की मैं तो मोहब्बत हूँ
मोहब्बत हूँ

जिन्दा ...तुज मै जीती ......साँस लेती .......धडकती

महोब्बत हु

दुनिया वाले कह रहे है साजिशो से पायी है

हमने ये जिंदा दिली तोह ख्वाहिशो से पाई है

कामयाबी पर हमारी जल रहा है क्यों यह जहाँ

कामयाबी हमने अपनी ख्वाहिशों से पाई है

Tuesday, July 27, 2010


तुम हो औरों की महफ़िल मैं मसरूफ,

यहाँ मैं हूँ और आलम-इ-तन्हाई..

अब लोग मुझे तेरे नाम से जानते हैं..

पता नहीं ये मेरी शोहरत है या रुसवाई..

Saturday, July 24, 2010

Memories


Sometimes I think of the times we had

Of the moments that we shared

Of all the hope and joy and love

That ended in despair

Sometimes I wish I could turn back time

And heal ill-fated wounds

And erase mere thoughts of promised love

That had ended all too soon

And if you ever feel lost

Know that I’ll be standing in the rain

Our lives may have been washed away

But the memories shall remain

Friday, July 23, 2010


तेरी नज़र को फुरसत ना मिली दीदार की,
वर्ना मेरा मर्ज़ इतना ना - इलाज ना था,
हम ने वहां भी मोहब्बत ही बांटी
जिस शहर में मोहबत का रीवाज न था.

Sunday, July 18, 2010

Giving up….


I know how hard is giving up
But sometimes I had to
Because of the need to do
The need to close the heart
The heart that is so ambivalent
For I can't decide
Whether to follow or not

Giving up, not that easy to do
The heart, the mind maybe affected too
But what can I do
The heart is too afraid to follow

Following seems so easy
Yet so hard to decide
Especially when afraid
The feelings that cannot be shared
Just the thought
Just in words, but not in deed

Giving up….

* I Love You *

Friday, July 16, 2010

काजल ....


मै आइने के सामने खड़ी सोचती हु

मेरा तोह उस से

कोई ताल्लुक ना था

फिर उस के जाने के बाद

मेरी आखो का काजल क्यों फ़ैल रहा है

Monday, June 28, 2010

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“चले थे कुछ कोस….
मगर कदम मेरे फिर रुक गए…
कहना था जिन्हे कुछ…
कहे बिना ही लौट गए…
आज फिर बात दिल में रह गई….
जैसे हमारी सासें उनके हाथों में रह गई…



लौट तो आई हु ....
कुछ बिना कहे..
पर लगता है इसमें भी अरसे लग गए…


कब मिलेंगे वो…
अब तो तमन्ना है यही…
मिले तो एक बार चाहे सपने में ही सही…
कह दूँगी तब अपने सभी दिले-राज…
जाने कब आएगी वो रात…!!

Sunday, June 27, 2010

लकीरें .....!!!!!


कौन कहता है भाग्य की रेखाएं बदल नहीं सकती.........
मुझे याद है जब तुमने पहली बार अपनी कोमल उगलियों से मेरी हथेलियों को कुरेदा था ...
वो अनकही हाथों की लकीरे बदलने पर मजबूर हो गई थी
की तुजे इस बेजार जीवन मै ला कर उस ने हमेशा के लिए लकीरों का रुख बदल दिया

मुझे याद है तुने जब कहा थी की तेरी किस्मत मै शायद मै नहीं
तब वही लकीरे मचल कर कह गई की
अगर तू ना होती किस्मत मै
तो इतना साथ तेरा ना होता ....

आगे भी तू ही होगी जो ये लकीरे बदल कर ...
आ जाएगी हमेशा के लिए मेरी होने ...

देख लेना ये लकीरों का खेल..
क्या रंग लता है .... तेरे और मेरे जीवन मै.....
पलक

Monday, June 21, 2010




वो एक शक्श कहा से आया अजनबी बन कर....ना जाने कितनी उम्मीद से जुड़ कर वो मुझे जिंदगानी दे गया ..... जो चुपके से मेरे ख्यालों मै आता है और मेरी अनकही सादगी को महोब्बत से अपना लेता है ... वो मेरे उल्ज़े उल्ज़े से खयालो मै बस्ता है....दूर बैठे बदलो की खिड़की से जाखता हुआ सफ़ेद मलमल मै लिपटा चाँद सा लगता है ... जिस से मै हजारो मिलो दूर से घंटो तकती अनगिनत बेजुबान लव्जो से गुफ्तगू करती ...लडती... मानती.... बाते करती जी लेती हु .... मेरी आदतों को अपना खुदा बना कर वो आज कल मेरी ही आदत बन चूका है ...... हाथो को यु हल्क्तय से थमता है की कंगन भी शर्मा जाता है..... जब भी वो बाते कराय मुज से ....जैसे मेरे होठ सिल कर कोई लव्ज़ दफनाता है ...क्या कहे उनकी महोब्बत का हर रंग मुझे साँस से साँस जीना सिखाता है ..... होके गुमशुदा अधूरे एह जायेगे हम... उन के बिना कितना खौफ कितना सन्नाटा है .... की ना जाओ ये कहती है हर साँस कैसे कहू की रूह से जुदा हो कर जिस्म का कोई वजूद ना होगा ......
~~~~~~~~~~~~~~~~~palak ~~~~~~~~~~~~~~~~~

Monday, June 14, 2010

कुछ पन्नो की दास्ताँ ........





आज शायद बहुत दिनों के बाद, में इन कोरे पन्नो पर कुछ सहेजने की कोशिश कर रही हूँ, कुछ बाते जो ज़िन्दगी की हकीकत हैं। खवाबो से दूर ज़मीन की देहलीज़ पर खड़ा एक मासूम ख्याल समेट कर एक नया आकर देने की कोशिश।

जिन्दगी के गुज़रे हुए लम्हों की कहानी ओज़ल सी हो चली थी. यादो की कैद मै उल्जी हुए मै पता नहीं अपने आप से भाग रही थी पर वहा मैंने तुम्हे पाया . "तुम्हारा मेरे जीवन मै आना एक दुआ था जो बिन मांगे मेरे दमन मै सिमट कर बैठ गई " .... ये ख्याल मेरे जेहन मै अक्सर आता है पर ना जाने मै तुम्हे ही खोजती हु. जो चेहरा मेरे ख्वाबो मै है उसे बदलो के उसपार ढूढ़ ने की कोशिश॥

रात के बैचैन लम्हो मै उसको तारो मै खोजना या फिर चाँद से बेहिसाब लड़ना की वो बदलो से पूछे की कहा हो तुम..एक रोज़ चाँद ने भी कहा मुज़ से की तुम जिसे खोजती हो उसे तुम खुद कैद कर बैठी हो अपने अक्स मै और लडती हो मुज़ से ।

सोचा मैंने वही पर की क्या ये सच है या ख्वाब की धरती ...गली गली खोजा जिसे जिन्दगी की तलाश मै... चाहत की तालश मै ...वो मिला मुजे अपने की अक्स मै.. वो मिला मुजे अपनी ही माग मै जब मैंने आइना देखा तो मेरा अक्स रंगीन पाया जो आज तक बेरंग थी उसे सिंदूरी रंग के लिबास मै पाया । चेहरे पर लगा हुआ था कुमकुम..सोचा कहा से आया तब माग को सजा हुआ पाया सिंदुर से.. वो मेरा ख्वाब मेरा ही आस्क निकला…. मेरा प्यार .. मेरा वजूद .. मेरी सांसे .. मेरी जिन्दगी…. वो हो तुम सिर्फ तुम…

Palak .....




Monday, June 7, 2010

गुलज़ार .....



ik raat chalo ta'meer karen khamoshi ke sang-e-marrmarr par, hum taan ke tareeki sar par do shamaein jalayen jismon ko (piano interlude, heavenly),
jab aos dabbey paon utre aahat bhi na paye sanson ki, kohre ki reshmi khushbu mein, khushbu ki tarah hi lipte rahen, aur jism ke sondhey pardon mein roohon ki tarah lehrate rahen, ik raat chalo ta'meer karen..

ik raat chalo ta'meer karen..



Saturday, June 5, 2010

अनुभूति ....


तू एक दुआ था
जो बिन माँगे फल गयी थी
खुदा की यह नेमत
मुझे अज़ीज़ थी बहुत
मगर मैं इस बात से अंजान थी
की तू एक नेमत था
जब मैने तुझ पर हक़ जताया
वो नेमत मुझसे छीन ली गयी

क्यों की तुम रब की दी हुए नेमत था
::::::::

तू वो वक़्त है
जो मैने जिया है
जिसने मुझे रुलाया भी
हँसाया भी
मुझे मुझ से मिलाया भी
मगर वक़्त की आदत है बीत जाना
तू वक़्त था॥
::::::::

तू वो रिश्ता है
जो मेरा हमदर्द भी है
हम राज़ भी
जिसकी छाँव में
मैं महफूज़ थी
शायद मुझे ही
रिश्ते संभालना नही आया…


::::::::

तू एक ख्वाब था
ज़िंदगी का
ख़ुशी का
ख्वाब भी कभी
सच हुए हैं भला…

::::::::

तू एक कसक है
याद आता है
तो होंठों पर
ख़ुशी की एक लक़ीर खिच जाती है और
जाते जाते
एक तड़प छोड़ जाता है
तू बस एक कसक बन गया है …।


::::::::



कोई तुज से कह दे आ कर

कि मैं अब नही रही
कि तुझसे जुड़ के ही तो पाई थी
खुद की पहचान मैने
तू जाते जाते
मेरे होने का एहसास भी ले गया
तू मुझे साथ ही ले गया…!!