ना था मैं तो खुदा था ,
कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
मिटाया मुझ को होने ने,
ना होता मैं तो क्या होता
कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
मिटाया मुझ को होने ने,
ना होता मैं तो क्या होता
दिल से तेरा ख्याल ना जाये तो क्या करू
तू ही बता .... एक तू ही याद ए तो क्या करू हसरत ये है की तुजे एक नज़र देख लू
किस्मत अगर वो दिन ना लाये तो क्या करू
हर बात पर कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्ही बताओ यह अंदाज़-इ-गुफ्तगू क्या है
रगों मै दौड़ाने के हम नहीं कायल
जो आँख ही से ना टपका वोह लहू क्या है
दिल-ऐ -नादाँ तुझे हुआ क्या है ?आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वोह बेजार्य इलाही ! यह माजरा क्या है ?
तुम्ही बताओ यह अंदाज़-इ-गुफ्तगू क्या है
रगों मै दौड़ाने के हम नहीं कायल
जो आँख ही से ना टपका वोह लहू क्या है
दिल-ऐ -नादाँ तुझे हुआ क्या है ?आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वोह बेजार्य इलाही ! यह माजरा क्या है ?
2 comments:
galib ki baato mein comment ki gunjaayish nahi hai....bas aapko thanks kehna hai..yeh post ke liye...iski kuchh lines dil ko chhu gayi hai..jeise...."हसरत ये है की तुजे एक नज़र देख लू किस्मत अगर वो दिन ना लाये तो क्या करू"
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
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