जो आपने ना लिया हो, ऐसा कोई इम्तहान ना रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान ना रहा,
है कोई बस्ती, जहा से ना उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान ना रहा,
हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
ना हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान ना रहा,
जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान ना रहा,
जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान ना रहा !
5 comments:
कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा! इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा!
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे, कल मिलेंगे! कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा!
फूल खिलते हैं खिल कर बिखर जाते है! फूल खिलते हैं खिल कर बिखर जाते हैं!
यादे तो दिल में रहती है दोस्त मिल कर बिछड़ जाते है!
अरे हमें तो अपनों ने लूटा,
गैरों में कहाँ दम था.
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.
मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़! आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़!
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़! और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास!
मुझे तो बम से उड़ाया,
गोली में कहाँ दम था.
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था |
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,
उसका पेट्रोल ख़त्म था.
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था.
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......
बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया! उनकी यादों को दिल से मिटा दिया!
एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था मुझे भूल जाओ! और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया!
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर........
~Pearl...
पलक जी
आप ने अपने ब्लॉग पर ७ अगस्त को एक रचना पोस्ट की थी "बचपन कहा खो गया तू " ये रचना मुझे किसी ने मेल से भेजी थी पर उस पर रचना कार का नाम नहीं था मुझे बहुत अच्छी लगी और मैंने रचनकार का नाम जानने के लिए उसे अपने ब्लॉग पर आज प्रकाशित किया है | मुझे प्रकाश जी ने बताया की की ये आप के ब्लॉग पर प्रकाशित हो चुकी है | पलक जी क्या ये आप की रचना है यदि हा तो बहुत ही अच्छी है और यदि आप को कोई आपत्ति हो तो मै उसे अभी अपने ब्लॉग से हटा देती हु यदि नहीं तो मै अब आप के नाम के साथ उसे वही रहने देती हु और आप की इस रचना की कई ब्लोगर प्रसंसा कर रहे है यदि आप के पास समय हो तो आप मेरे ब्लॉग mangopeople-anshu.blodspot.com पर आ कर उन टिप्पणियों को देख सकती है और उन्हें कुछ कह सकती है |
पलक जी
आप की ये रचना भी काफी अच्छी है |
PALAK JI KI TO SARI RACHNAYE HI BEST HAI ANSHUMALA JI...
अहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं
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