Monday, May 3, 2010

Waiting ...!


तुने जो ना कहा, मैं वो सुनती रही .....
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही
जाने किस की है लग गई है नज़र
इस शेहेर मै ना अपना ठिकाना रहा
दूर चाहत से मैंने तुम्हे चाहती रही
ना पाने की आस ना मिलने की उम्मीद
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही ....

पलक
For U.....

1 comment:

Anonymous said...

jane kiski hame lag gayi hai najar... Is shehar mein na apna tikana raha
~Pearl