Thursday, May 13, 2010


सच है वक़्त कहा थमता है किसी के चले जाने से...

ये तो चलता रहा है सदियों तक,

चलता आया है जमाने से...

पर इंसान का क्या करे,

वो तो वोही उस पल में थम जाता है...

जिस पल उस से जुदा कोई शख्स उससे दूर बिना वजह चला जाता है...

तनहाइयों में तो उसके गम की कोई इन्तहा ही नहीं ...

और गर भीड़ हो लोगो की तो दर्द और गहराता हैं...

खुद को बहलाने का जरिया नहीं मिलता कोई....

दिल प्यासा है पर चाहत का दरिया नहीं मिलता कोई...

उम्मीद है बस महबूब का नाम रख दिल में...

और फिर मिलन हो उनसे ये दिलासा नहीं मिलता कोई...

यु तो और भी कई दिलदार मिलेंगे जिंदगी में शरीक होने...

पर उस की कमी कभी ना पूरी होगी .....

जब जताएगा कोई अपनी उल्फत बेहिसाब कभी उस से ...

ठीक उसी वक़्त जिंदगी और अधूरी होगी... पलक ......

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।