Tuesday, June 24, 2008

कभी यु तो हो ...


कभी यु भी तो हो ..........


दरिया का साहिल हो ,

पूरे चाँद की रात हो ,

और तुम आओ ....!


कभी यु भी तो हो .....

परियों की महफिल हो ,

कोई तुम्हारी बात हो ,

और तुम आओ .....!


कभी यु भी तो हो .....

ये नर्म मुलायम ठंडी हवाएं ,

जब घर से तुम्हारें गुज़रे ,

तुम्हारी खुशबू चुरा ले मेरे घर आयें ,

और तुम आओ .....!


कभी यु भी तो हो ......

सुनी हर मंजिल हो ,

कोई ना मेरे साथ हो ,

और तुम आओ .....!



कभी यु भी तो हो ......

ये बादल ऐसा टूट के बरसे ,

मेरे दिल की तरहा मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे ,


तुम निकालो घर से और वापिस ना जा पाओ ,


कभी यु भी तो हों .....

तन्हाई हो , बूंदे हो ,

बरसात हो और तुम आओ ,

और कभी वापिसना जाओ ......

कभी यु भी तो हों ......... पलक .......

1 comment:

Anonymous said...

nice poem
keep it up

... ur frd rishi ...