तुज़े देख कर ये मौसम भी आज मचल गया...
तेरे रहते याहा किसीकी नियत का यकी करु ....
इसकी आखे नही फिर भी तुज़ पर मचल गया ....
मैं नाज़ुक सी जान कैसे ना तुज़ पर मरू ....
आज मेरा ही इमान कर देगा मुजे बईमान ....
अब तुही बता ख़ुद से क्यों ना इतना डरु....... पलक .....
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