Tuesday, June 24, 2008



नफरत पल रही है पुरी देखरेख के साथ ...और

प्यार बेचारा यतीम सा ख़ुद ही पल रहा है ...

इसकी सूरत पर सबने अच्चा नकाब है पहनाया ....

प्यार का बिगड़ता रूप मेरा जी जलाता है ...

शुक्रिया उसका जिसने बाना छोड़ा एक ताज महल ...

प्यार इस दुनिया मैं भी था पता चलता है .......पलक

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