तू हर दिल मैं है उनकी आरजू बन कर
काश तू बनाये मुजे अपनी आरजू कभी कभी
तू लगती है फूलो मैं घुली ख्श्बू की तरह
काश मेरे खयालों से तू नहाये कभी कभी
तू क्या है .....!
तू कौन है ......!
ऐ दूर के सनम .......!
बताया करुगा तुजे कभी कभी
मेरी जिन्दगी खुदा की नही तेरी है नेय्मत
ये कहने का गुनाह भी करुगा
मगर कभी कभी ..........पलक ......
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