Tuesday, July 22, 2008


कुछ दूरियाँ है हमारे तुम्हारे बीच , कुछ पलों की, कुछ ख़यालों की , कुछ बातों की , कुछ सवालों की, फिर भी हम अजनबी नही ऐसा क्यों? कुछ तो है ... न जाने कुछ तो है ...कुछ तो है...... पलक ....

3 comments:

Anonymous said...

दूरियां मजबुरिया है हाले दिल कैसे कहू
तनहा तनहा बेबसी का दर्द मई कैसे सहु
तुम कहो तौ छोड़ दू
तुम कहो तो छोड़ दू एक पल मई ये खुदाई
एक पल मई ये खुदाई छोड़ मई ये खुदाई
पर्ल...

sahil said...

shaam se aankh mein nami si hai
aaj phir aapaki kami si hai

dafn kar do hamein ke saans mile
nabz kuchh der se thami si hai
aaj phir aapaki

vaqt rahataa nahin kahin tik kar
isaki aadat bhi aadami si hai
aaj phir aapaki

koyi rishtaa nahin rahaa phir bhi
ek tasalim laazami si hai......

Dr. Ravi Srivastava said...

Yes, कुछ तो है...... par nahi maalum.