छलके है आँखें, तरसे है मन ये,
रुकी हुई है धड़कन, रुकी रुकी साँसें
डगमगा रही हूँ मैं फिर चलते चलते,
मुझे थामा था मेरे बचपन मे जैसे,
गुडिया को अपनी अपना हाथ फिर थमा दे
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले
वो आँगन का झूला क्या अब भी पड़ा है
वो तुलसी का पौधा क्या अब भी खड़ा है
वो स्तरंगी छतरी, वो बारिश का मौसम,
काग़ज़ की कश्ती फिर मेरे लिये एक बना दे
एक बार मुझको फिर से वो बचपन लौटा दे
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले
वो गुडिया की कंघी, वो खेल खिलौने,
वो मेरा तकिया और वो मेरे बिछौने,
मेरी कुछ किताबें थी, कुछ अधूरे सपने,
सपने वो मुझको एक बार फिर से लौटा दे
या सामान मेरा गंगा मे बहा दे…
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले
कैसे ज़िगर के टुकड़े को कर दिया तूने पराया,
डोली के वक़्त तूने जब कलेज़े से लगाया,
मैने सुना था बाबुल तेरा दिल रो रहा था,
कैसे रोते दिल को तूने फिर था मनाया
बाबुल वैसे ही दिल को एक बार फिर तू मना ले
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले
लगी थरथराने जब लौ ज़िन्दगी की,
मैने लाख तुझको दिये थे इशारे,
माँ को भेजी थी ख़त मे एक कली मुरझाई,
भेजी ना राखी, छोड़ दी भाई की सूनी कलाई
मगर बेटी तुम्हारी हो चुकी थी पराई,
शायद नसीब अपना समझा ना पाई,
आखिरी बार मेरी आज तुम फिर कर दो विदाई
लेकिन विदाई से पहले अपनी नज़र मे बसा ले
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले
मुझे ख़ाक करने को चला था जब ज़माना,
क्यों रोए थे तुम भी, मुझे ये बताना,
आँखों मे अब ना आँसू फिर कभी लाना
भटक रही है रूह मेरी, तेरे प्यार को फिर से
माथे पे हाथ रख कर मेरी रूह को सुला दे
बाबुल मुझे फिर से तू अपने पास बुला ले ॥
पलक ...
ये कविता मैंने कही पढ़ी थी इस लिए मैं इसे यहाँ रख रही हु ..
5 comments:
Awesome poem hai yaar... it reminds me my bachpan ke days..:-)
thanks palak...
Pearl...
hi palak
really very soultouch poem. have 1 daughter so after reading this just thinking about her.
Veena & deepak
the snap of the post is really match this poem. awesome ......
pal i think this is ur future snap dear... u ill be same as like her when u get maried... anywaz nice poem ..
Pankti
Hiii Dost,
Really it has deeeeeeep thinkings in itself.
"AGAR TUM KO MERI YAAD KBHI RULAYE TO TUM KO MERI YAAD KBHI NA AAYE"
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