Thursday, July 10, 2008

खामोशी की आदत!!!

Lonely

मुझे इतनी भी सज़ा ना दे,
मेरे प्यार की इंतहा ना ले…
रुक जा ए चाँद थम जा ज़रा,
दो घड़ी मुझे भी निहार ले…
मैं टूट कर बिखर चली,
मेरी ख़ाक को यूँ हवा ना दे…

दो बोल तुझसे सुन सकूँ कभी,
मैं इंतज़ार मे सदा रही…
तू चल पड़ा मुझे छोड कर,
दीवार सी मैं खड़ी रही…
सहम गयी हूँ बस इस बात से,
कहीं मुझको तू भुला ना दे…

ये क्या किया तूने ए दिल बता,
प्यार तूने क्यों किया भला…
कैसे कहे अब ये मेरी ज़ुबान,
इक बार तो मुझको गले लगा…
ख़ामोशी की ये आदत कही,
मुझे बेजुबान ही बना ना दे…

पलक

2 comments:

Dr. Ravi Srivastava said...

.....ख़ामोशी की ये आदत कही,
मुझे बेजुबान ही बना ना दे…
Wah!!! waakai intizaar ka fal meetha hota hai. der se hi sahi par feeling is coming from deeeeeeep heart.

"Tadap ke deko kisi ki chahat me,
to pata chale ki INTZAAR kya hota hai......,
u hi mil jaye koi bina chahe,
to kaise pata chale ki PYAR ka hota hai.."

...Ravi

Anonymous said...

चेहरे की हँसी से हर गम को छुपाओ, बहुत कुछ बोलो पर कुछ न बताओ,ख़ुद न रूठो पर सबको मनाओ,यही राज़ है जिंदगी का बस.
पर्ल...