Tuesday, July 15, 2008

एक खवाब


आ असमान से नीद का सौदा करे, एक खवाब दे एक ख्वाब ले...
एक ख्वाब जो आखों मैं है , आ उसको पुरा करे ....
शर्म को तेरी आगोश मैं पिघलने भी दे ...
बोलके हल्के हल्के कानो मैं मेरे
सांसों को उलझा दे मेरी सांसों से
दो लफ्ज़ थे ..एक बात थी.. उमर लगी तेरी खामोशियों को बोलने मैं …
सौ साल का वो एक पल था .. उस पल मैं पुरी सदियाँ बिता दें ....
आ असमान का चाँद से सौदा करे रोशनी से भर दे अपना जहाँ .... पलक .....

4 comments:

Anonymous said...

उम्रें लगी कहेते हुए
दो लफ्ज़ थे एक बात थी
वो एक दिन सौ साल का
सौ साल की वो रात थी
कैसे लगे जो चुपचाप दोनों
पल पल में पुरी सदियाँ बीतादें.


Pearl...

Anonymous said...

palak
this is really greate

kaha se milta hai ye ab tumhay

???

please tell me yaar
but this is really superb

veena deepak

Anonymous said...

ritika said me earlier that u write..
but i did't belive
but today i belive all that words

really awesome

from

Garima and ur all group

sahil said...

Har kisi ko mahobbat mile zaruri to nahi.....
har ankhon ko khuaawab mile zaruri to nahi.....
Khuda ki adate hai intihan lena, har intihan hum pass ho zaruri to nahi.......