Thursday, July 10, 2008

ज़िन्दगी



आज मीठी धूप को अंगना से ,
नज़र झुकाए गुजरते देखा..
अलसाये मौसम की आँखों में ,
बेशुमार इश्क उमडते देखा..
पीले फूलों की क्यारियों को ,
प्रेम गीत, गुनगुनाते सुना..
भंवरा बेचारा भर रहा आहे,
शायद वो अकेला पड़ा ....
उदासी के आलम में भि...
हमने ज़िन्दगी को आज ,
नए रंग में पसरते देखा...... Palak

2 comments:

Dr. Ravi Srivastava said...

Its really spiritual thoughts about life, Palak.

Sang ho jab aap hamare,
Duniya ko dikha denge.
Maut ko bhi jeene ka andaaz sikha denge.

...Ravi

Anonymous said...

Love is like standing in the wet cement,
The longer you stay, the harder it is to leave
And you can never go without leaving your shoe behind.


Pearl...