है अफताब उसमें ऐसा
जलना ज़मीन को पड़ता है
नशा तो उनकी बातों मैं होता है
तड़पना इस दिल को पढता है
यह तेरी ही बातों का कसूर है
मैं अकेली तोह गुनेगार नही
यह तेरी ही अदाओं का सुरूर है
यह इश्क कसूरवार तोह नही
जलना ज़मीन को पड़ता है
नशा तो उनकी बातों मैं होता है
तड़पना इस दिल को पढता है
यह तेरी ही बातों का कसूर है
मैं अकेली तोह गुनेगार नही
यह तेरी ही अदाओं का सुरूर है
यह इश्क कसूरवार तोह नही
3 comments:
I've found out a reason for me
To change who I used to be
A reason to start over new
and the reason is you
Pearl...
आप बहुत ही बहुत ही बहुत ही अच्छा लिखते हो मुझे लगता है हवाओं का रुख बदला हुआ है
मोहब्बत की फिजाओं का नशा छ रहा इन कातिल शब्दों में जो सीधे सिने को चीर दिल में उतर जाते हैं...
मुझे बहुत पसंद आती है आपकी शायरी ...
यह तेरी ही बातों का कसूर है
मैं अकेली तोह गुनेगार नही"
bahut khoob.
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