Tuesday, December 16, 2008

ये गज़ले ...!!!!!


उठी जो दिल मैं एक आह,
मेरे जज्बो के गवाह यह ग़ज़लें,
कितनी तमन्ना से लिखी मैंने,
तुमसे मिलने की चाह ग़ज़लें,
कभी मेरे आंसू पोछती ,
ज़माने की नफरत और बेरूखी से,
मुझे दिलाती पनाह ग़ज़लें,
तुम्हारी गोद मैं हो सर मेरा,
है ऐसी लम्हों की चाह ग़ज़लें,

दिलाएंगी मकाम यह मेरा.....यह फ़िर करेंगे मुझे तबाह
यह गज़लें .....

3 comments:

Anonymous said...

तुम्हारी गोद मैं हो सर मेरा,
है ऐसी लम्हों की चाह ग़ज़लें...


क्यूँ इस तरह चुपचाप दिल आवाज देता है,

क्यूँकर मेरे कमरे में तुम ही तुम बिखर गए|



जब रात अपने पैरों को जमीन पे रखती है,

हर बार मेरी पलकों पे कुछ सपने संवर गए|


Pearl...

!!अक्षय-मन!! said...

हम तो फ़िदा हैं ऐसी गज़लों पर पूरी तरहां घायल कर दिया आपके इन शब्दों ने

कितनी ख्वहिश है किसी से कुछ दिल बात कहने की
मेरा उन तक पहुंचा पयाम भी तो हैं ये गजलें
एक नया सिलसिला और दोस्ती का नाम भी तो हैं ये गजलें

Dr. Ravi Srivastava said...

बहुत कोमल और सुंदर भावनाओं को ख़ुद में पिरोई हैं ये पंक्तियाँ .....
‘मेरी पत्रिका’ में आज प्रकाशित नई रचना/पोस्ट पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएँ।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

‘मेरी पत्रिका’ Link : www.meripatrika.co.cc

और अपने चुटकुले बांटने के लिए यहां क्लिक करेँ –
‘गुदगुदी’ : http://gudgudi-khazana.blogspot.com/