यूँ जमाने मैं क्या नही होता,
बस तू ही मेहरबा नही होता ,
वो ही मिलना , वो ही हसना , वो ही बातें करना ,
दिन मैं कुछ भी नया नही होता ,
यूँ तो सिर्फ़ होती हैं तुजे सारे जमाने की ख़बर ,
सिर्फ़ इस दिल का पता नही होता ,
जुकती पलके तेरी चाहत की ख़बर देती हैं ,
इश्क फ़िर क्यों जावा नही होता ,
कहना ग़र मुस्किल हैं लब से, तो कोई बात नही ,
आखों से क्या क्या बयां नही होता ,
ऐसी देरी भी मुनासिब नही उल्फत के खेल मैं ,
वक्त का कुछ गुमा नही होता .....!!!!!!!!!!
पलक
3 comments:
कहना ग़र मुस्किल हैं लब से, तो कोई बात नही ,
आखों से क्या क्या बयां नही होता ,
This is a very good line...
Pearl...
palak sunder kavita hai..
kafi dino ke bad tum ne kuch post kiya accha laga.. likhna kabhi bandh mat karna ..kyu ki hum sab dosto ko teri post ka wait rehta hai .. so keep posting...
बहुत अच्छा लिखा है। आशा है
हमें और अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
बधाई स्वीकारें।
“उसकी आंखो मे बंद रहना अच्छा लगता है
उसकी यादो मे आना जाना अच्छा लगता है
सब कहते है ये ख्वाब है तेरा लेकिन
ख्वाब मे मुझको रहना अच्छा लगता है.”
...रवि
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