Monday, November 3, 2008

मिलन अब के .......

नया है चाँद , सितारे नए है , रात नई है
मेरी आखों मैं सजी ख्वाबों की बारात नई हैं
एक जमाने के बाद आज मिलेगे हम से
जाने क्या रंग दिखायेगी मुलाकात नई
पहले मिलते थे तो देते थे एक हसीं गुलाब हमें,
देखिये लाते है क्या आज वो सोगात नई
ना गिले होगे , ना शिकवे होगे , ना कोई शिकायत ,
खिलखिलाएगी महोब्बत से हरेक बात नई
दिल ठिकाने पर है , धड़कन है ठीक अपनी जगह
डर हैं आखों से ना कर दे कोई बरसात नई .....

पलक

1 comment:

Dr. Ravi Srivastava said...

वो तो कहते थे हर बात में
की हम बसते हैं उनकी याद में
मैं न जान सकूँगा ये कभी
क्यूँ मुझको दिल से भुला दिया...