Saturday, August 9, 2008

एक खुबसूरत याद


कभी आती है खामोशी से
चुपके से
सरगोशी से
अँधेरी रात मैं
भीगी बरसात मैं
कभी वीराने मैं
कभी अनजाने मैं
कभी महफिल मैं
कभी तन्हाई मैं
क्या ख़बर क्यों आती है
ये वक्त के
किस वजह से किस के लिए
किस की खातिर
किस ले लिए
क्या कहे ..क्या बताये
ये क्या है
एक एहसास है
एक प्यास है
फ़िर भी अच्छी लगती है
अनजानी सी
बेगानी सी
पहचानी सी
" एक खुबसूरत याद"


पलक .........

8 comments:

Smart Indian said...

बहुत खुबसूरत याद!

Anonymous said...

Sach mai tumhari tarah bahut sunder.. bahut khubsurat...

Anonymous said...

pal
bahut payari poem hai
keep posting

Anonymous said...

तेरी यादें आती है, कुछ बातें आती है. दिल में तलब है , ... मौसम ये बहका और महका है. तेरी यादें आती है , तेरी यादें आती है...
पर्ल...

Dr. Ravi Srivastava said...

मेरी उलफत की बस इतनी सी पैमाईश अभी तक है
तुम्हारी राह मे मैने वो जो पलके बिछायी थी
नजाने किस तरहा क़ायम ये ज़बैश अभी तक है
...Ravi

Anonymous said...

i think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski

Anonymous said...

i think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski

Anonymous said...

think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski