कभी आती है खामोशी से
चुपके से
सरगोशी से
अँधेरी रात मैं
भीगी बरसात मैं
कभी वीराने मैं
कभी अनजाने मैं
कभी महफिल मैं
कभी तन्हाई मैं
क्या ख़बर क्यों आती है
ये वक्त के
किस वजह से किस के लिए
किस की खातिर
किस ले लिए
क्या कहे ..क्या बताये
ये क्या है
एक एहसास है
एक प्यास है
फ़िर भी अच्छी लगती है
अनजानी सी
बेगानी सी
पहचानी सी
" एक खुबसूरत याद"
चुपके से
सरगोशी से
अँधेरी रात मैं
भीगी बरसात मैं
कभी वीराने मैं
कभी अनजाने मैं
कभी महफिल मैं
कभी तन्हाई मैं
क्या ख़बर क्यों आती है
ये वक्त के
किस वजह से किस के लिए
किस की खातिर
किस ले लिए
क्या कहे ..क्या बताये
ये क्या है
एक एहसास है
एक प्यास है
फ़िर भी अच्छी लगती है
अनजानी सी
बेगानी सी
पहचानी सी
" एक खुबसूरत याद"
पलक .........
8 comments:
बहुत खुबसूरत याद!
Sach mai tumhari tarah bahut sunder.. bahut khubsurat...
pal
bahut payari poem hai
keep posting
तेरी यादें आती है, कुछ बातें आती है. दिल में तलब है , ... मौसम ये बहका और महका है. तेरी यादें आती है , तेरी यादें आती है...
पर्ल...
मेरी उलफत की बस इतनी सी पैमाईश अभी तक है
तुम्हारी राह मे मैने वो जो पलके बिछायी थी
नजाने किस तरहा क़ायम ये ज़बैश अभी तक है
...Ravi
i think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski
i think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski
think tumne yaaden par bahut kuchh likha hai. but yeh yaaden hai kiski
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