Friday, March 4, 2011




कुछ शब्दों में समेट कर अपनी बातें..
समक्ष सबके रख देती हूँ..
शायद मेरे शब्दों में हैं उनकी भी बातें..
उनके शब्दों से समझ लेती हूँ..

ये ही तो होता है हर बार ,जब भी होती हैं बातें..
कभी तुम मेरी ,में तुम्हारी जगह होती हूँ..
फिर..एक दिन..
यूंही चलता ये मेल,टूट जाता है,रह जाती हैं यादें..
फिर यादों की बातों से तुमको याद कर लेती हूँ॥


यहाँ अपनी किताब के पन्नो मै
या यही शब्दों के ज़रिये
रख देती हु सब के सामने

आँखों में ....!!!!


दूर जाने का खौफ,

दर्द और नमी..
लब हैं खामोश

मगर

अनगिनत बातें..... हिदायतें..
तेरी आँखों में भी है,

मेरी आँखों में भी..

टूटकर चूर हुए ख़्वाबों की चुभती किरचें..
ज़िन्दगी भर के लिए ज़ख्म लिए रूह को है गुमान ...

प्यार के सब सुनहरे लम्हे,

सिसकते.. तडपते ....

तेरी आँखों में भी है,मेरी आँखों में भी..

आज हमेशा के लिए जुदा होने की कसम उठाने की मजबूरी..
तेरी आँखों में भी है, मेरी आँखों में भी..

Sunday, February 20, 2011

हसरत तुज़े पाने की .....!!!!


टूटे हुए खवाबों में हकीक़त ढूढती हु ,
पत्थर के दिलों में मोहब्बत ढूढती हु .
नादान हूँ में अब तक यह भी नहीं समझी ,
बेजान बातो में इबादत ढूढती हु .
मेरे जज्बातों की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं ,
बेईमानी के बाजारों में शराफत ढूढती हूँ .
इस अजनबी दुनिया में कोई भी अपना नहीं ,
गैरों की आँखों में अपनी सूरत ढूढती हूँ .
उम्मीद की थी प्यार की बस येही भूल थी मेरी ,
गिरते हुए अश्कों में अपनी हसरत ढूढती हूँ

Thursday, February 10, 2011

अंजामे - ऐ - महोब्बत क्या होगा ..!!




मुझपर और इलज़ाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
सुरूर भरा जाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर ग़ज़ल में मैं लिखता हूँ तुझको
और मेरा पैगाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर वक़्त तेरे सजदे में हूँ मैं पड़ा
इस से बड़ा सलाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



इकरार तो कर लिया हमने मोहब्बत का
जाने अब अंजाम - - मोहब्बत क्या होगा



चल निकले संग तेरे हम नयी सुबह को
कौन जाने शाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



यूह नज़र घडाए देख रहे यह दुनिया वाले
जाने अब अपना नाम-ऐ मोहब्बत क्या होगा



तय कर लिया हैं काटों का सफ़र, पर जाने
अब अगला इख्तेहाम-ऐ -मोहब्बत क्या होगा



लम्बा है यह सफ़र, टेडी- मेढ़ी है डगर
कौन जाने मुकाम- ऐ -मोहब्बत क्या होगा

Monday, January 17, 2011

क्या हो तुम...!!!!!



तुम क्या हो ?
मेरी मुस्कुराती शायरी के लव्ज़ हो तुम
ख्वाबों के मंज़र का खिलता गुलाब हो तुम
महक रही है फिजा भी छू कर
किसी चमन में आई वो बहार हो तुम.

अधूरी है मेरी हर नज़्म तुम्हारे बिना,
मेरी ग़ज़ल का वो आखिरी अल्फ़ाज़ हो तुम
जिंदगी क हर मोड़ पर जिसे पाने की हसरत हे,
वक़्त का वो खूबसूरत लम्हात हो तुम;
कितनी फीकी थी इन लबों की हसी तेरे बिना

मेरे लबों पर खिली वो मुस्कान हो तुम;
सींचा हे जिस से मेने इस वीरान चमन को,
मेरी आँखों से छलकता वो जाम हो तुम,
क्या नाम लेकर पुकारूं तुम्हे
मेरी थमती सांसों की आखिरी शाम हो तुम..

Sunday, January 9, 2011

तुम से है ...!!!!


ए मेरी ज़िन्दगी के हमसफ़र,
मेरी धडकनों में रवानी तुम से है.
तेरी हर ख़ुशी से ख़ुशी है मेरी,
और आँखों में पानी तुम से है.
मैं पल पल तड़पती हूँ तेरे लिए,
मेरी यह जिन्दगानी तुम से है.
मैं हर बात सौचती हूँ तेरे लिए ही,
मेरे जज़्बात- ऐ -रूहानी तुम से है.
मेरा नसीब है के तुम मिल गए मुझे,
यह कुदरत की मेहरबानी तुम से है.
मैं तेरे ही प्यार में पागल हूँ,
मेरी हर अदा दीवानी तुम से है.
मेरी हर सुबह तेरे नाम से होती है,
मेरी हर शाम दीवानी तुम से है.
तुम एक उम्र की बात करते हो,
मेरे तो हर जनम की कहानी तुम से है