मुझपर और इलज़ाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
सुरूर भरा जाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
सुरूर भरा जाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
हर ग़ज़ल में मैं लिखता हूँ तुझको
और मेरा पैगाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
हर वक़्त तेरे सजदे में हूँ मैं पड़ा
इस से बड़ा सलाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
इकरार तो कर लिया हमने मोहब्बत का
जाने अब अंजाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
चल निकले संग तेरे हम नयी सुबह को
कौन जाने शाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
यूह नज़र घडाए देख रहे यह दुनिया वाले
जाने अब अपना नाम-ऐ मोहब्बत क्या होगा
तय कर लिया हैं काटों का सफ़र, पर जाने
अब अगला इख्तेहाम-ऐ -मोहब्बत क्या होगा
लम्बा है यह सफ़र, टेडी- मेढ़ी है डगर
कौन जाने मुकाम- ऐ -मोहब्बत क्या होगा
1 comment:
Palak...Aap ki soch bahut ghehri hai.... bahut sundar khayalat hai is rachna mein.....
Ise padh ke ek gaana yaad aa gaya...."Sochenge tumhe pyaar karke nahi"....
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