Thursday, February 10, 2011

अंजामे - ऐ - महोब्बत क्या होगा ..!!




मुझपर और इलज़ाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा
सुरूर भरा जाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर ग़ज़ल में मैं लिखता हूँ तुझको
और मेरा पैगाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



हर वक़्त तेरे सजदे में हूँ मैं पड़ा
इस से बड़ा सलाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



इकरार तो कर लिया हमने मोहब्बत का
जाने अब अंजाम - - मोहब्बत क्या होगा



चल निकले संग तेरे हम नयी सुबह को
कौन जाने शाम - ऐ - मोहब्बत क्या होगा



यूह नज़र घडाए देख रहे यह दुनिया वाले
जाने अब अपना नाम-ऐ मोहब्बत क्या होगा



तय कर लिया हैं काटों का सफ़र, पर जाने
अब अगला इख्तेहाम-ऐ -मोहब्बत क्या होगा



लम्बा है यह सफ़र, टेडी- मेढ़ी है डगर
कौन जाने मुकाम- ऐ -मोहब्बत क्या होगा

1 comment:

Raj said...

Palak...Aap ki soch bahut ghehri hai.... bahut sundar khayalat hai is rachna mein.....

Ise padh ke ek gaana yaad aa gaya...."Sochenge tumhe pyaar karke nahi"....