Wednesday, May 12, 2010

तेरे नाम ...


सुर्ख गुलाब के सारे मौसम तेरे नाम
हर सुबह का पहला उजाला तेरे नाम
जितने खवाब खुदा ने मेरे नाम लिखे
उन खवाबों का लम्हा लम्हा तेरे नाम
तेरे बिना जो उमर बीत गई
अब इस उमर का बाकी हिस्सा तेरे नाम


palak

Saturday, May 8, 2010

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दर दर भटकते हैं अरमान की तरह,

हर कोई मिलता है अनजान की तरह.

ख़ुशी की उम्मीद क्या रखें इस दुनिया से,

यह तो ग़म भी देती है तो एक एहसान की तरह

Thursday, May 6, 2010

क्या करते .....????


महोब्बत के अनोखे थे सभी अंदाज़ ..... क्या करते ..?
रहे हम भी गुमसुम आप भी नाराज़ .....क्या करते ॥?
लबो पर बात आई , पर ना थी आवाज़ क्या करते ...?
भीड़ मै हम खो गए कुछ इस तरह चैन पाने को ,
अकेले मै सताती थी तेरी आवाज़ .... क्या करते ?
दिल उस ने पल मै तोड़ दिया
उसे पसंद थी टूटे कांच की आवाज़ ... क्या करते
सजा कर सौ तब्बसुम तुम से छुपाती थी
मगर जन कर वो... तुम क्या करते...?
PG

Wednesday, May 5, 2010

मै धरा .....!!!!!!


सुखी थी बेजान सी थी
अन्दर इक आग सी थी
दूर दूर तक तसती निगाहें
आश ने अश्रू भी सुखा दिए


इक आह्ट सी हुई
घन-घोर घटा थी छायी
ठंडी हवा यूँ लहराई
आश होले से मुस्काई


चाँद-सूरज छुप के शर्माए
प्यार की बरसा मे मैं भिन्जायी
आँचल मे हर बूँद यूँ संजोयी
हरियाली बन हर रंग ने ली अंगडाई


भीगे बदन पे बरसती बूंदों का शृंगार
उस पे चढ़ा यूँ तेरी नज़रोएँ का खुमार
उड़ा आँचल जो तुने थामा
मेघधनुष बन वोह नभ पे छाया


पलक

इंतज़ार तेरा ....

Again

आज की रात, कल की रात से कुछ जुदा तो नहीं,
मैं भी वोही हूँ, मेरी सोच वोही, वोही शायरी मेरी,
और यह कलम भी वोही….
फिर क्यों ना कल यह ख्याल आया की,
ग़ज़ल तेरे तसवूर बिना कुछ भी नहीं,
दर्द नहीं जो इसमे तो यह दावा भी नहीं.
तन्हाई है इसमे, महफ़िल की शनासाई नहीं,
साज है इसमे मगर गूँज-इ-सहनाई नहीं…..
मेरे चन्दा, तेरी चांदनी के पास
कुछ लफ्ज है टूटे हुए,
जो जुड़ गए यह तो समझो हाल-इ-दिल बयां हुआ…
किस्मत मैं मेरी वोही इंतज़ार पुराना लिखा शायद,
जो मिल जाओ तुम तो समझें गे कुछ नया हुआ……

i like this poem so post here in my blog

palak

Monday, May 3, 2010

तू है यही कहीं ......!!!!


जुड़ गयी जुड़ गयी तुझ से
यह मेरी ज़िन्दगी
मैंने तो पायी तुझ में मेरी हर ख़ुशी
कह गयी कह गयी मुझसे
खुद ये बातें तेरी
अक्सर खयालो में हूँ तेरे
मैं कहीं देखू मैं तुझे
लम्हा लम्हा हर पल अपने सीने में रखु
हर सुबह तुझसे मिलने की चाहत
में मैं जगु
एक तू ही तो है होठो की हसी
चेहरे का नूर तू


बस गयी बस गयी मुझे में अब
है ये बस गयी
साँसों से आये हर दम खुश्बो जो तेरी
छा गई छा गयी मुझ पे ये जो
हैं छ गयी
बदली है शायद ये तोह तेरे इश्क की
येही है मेरे दिल की हसरत पैह्रों
तुझसे बातें में करू
हो सारी बातें तुझ पे ख़तम
और तुझसे हो शुरू
फिर वक़्त भी यह रुक जाए
और हर पल तू साथ हो
पल

Waiting ...!


तुने जो ना कहा, मैं वो सुनती रही .....
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही
जाने किस की है लग गई है नज़र
इस शेहेर मै ना अपना ठिकाना रहा
दूर चाहत से मैंने तुम्हे चाहती रही
ना पाने की आस ना मिलने की उम्मीद
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही ....

पलक
For U.....