Wednesday, April 22, 2009

नासूर ......!!!!



कोई ज़ख्म नही, ना कोई दर्द है ...
बस एक खामोशी सी इस दिल में है ...
कुछ गिला भी नही, कुछ खोया भी नही ...
बस एक अधूरापन इस दिल में है ...!!!!

ना कुछ कहने को है ...ना सुने को है...
सवाल भी अब नही मन मैं ..
भुलाना ही क्या किसी को जब वों याद ही नही ...
बस एक बेचेनी सी है इस दिल मै कहीं



चाँद से क्या कहू, अब तो कोई अँधेरा भी नही
ना दिन की तलाश है, ना रौशनी की कमी
ग़म, उदासी, कोई आंसू भी नही अब
तो फिर इस दिल को किस चीज़ की कमी सी है ....!!! ?




पलक .......

Tuesday, April 21, 2009

Mari Akhay Kanku Na Suraj Athamya ....!!!

મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….
મારી વે’લ શંગારો વીરા, શગને સંકોરો
રે અજવાળાં પહેરીને ઊભા શ્વાસ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

પીળે રે પાંદે લીલા ઘોડા ડૂબ્યા;
ડૂબ્યાં અલકાતાં રાજ, ડૂબ્યાં મલકાતાં કાજ
રે હણહણતી મેં સાંભળી સુવાસ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

મને રોકે પંછાયો એક ચોકમાં;
અડધા બોલે ઝાલ્યો; અડધો ઝાંઝરથી ઝાલ્યો
મને વાગે સજીવી હળવાશ!
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યા ….

one of my most favourite song in Gujarati Music .... palak

Saturday, March 14, 2009


जो असू ना होते आँखों में
तो आंखें इतनी खुबसूरत ना होती

जो दर्द ना होता दिल में
तो खुशी की कोई कीमत ना होती

जो बेवफाई ना की होती वक्त ने
तो वफ़ा की कभी चाहत ना होती

अगर सोचने से पूरी हो जाती मुरादें
तो दुआओं की कभी ज़रुरत ना होती
******पलक******

Thursday, January 8, 2009

गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती

गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
दिलों से महोब्बत की पहचान होती
और महोब्बत इतनी आसन ना होती
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
उल्फत - ऐ - महोब्बत किसी के दीदार से ना बढती
दर्द की परिभाषा यु रोज ना बदलती
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना करती
हुस्न और इश्क की ना कोई जंग होती
प्रेम के ढाई आखर यु प्रेम ग्रन्थ ना बनते
गर ये आखे किसी की शिफारिश ना
आजमाइश - ऐ - महोब्बत यु ना रंग लाती
With Special Thanks to My Best Friend Purvi . I Hope .... purvi u ill like bit editing in this poem..
palak


Wednesday, January 7, 2009

कुछ सवाल कुछ अनकहे जवाब ...

पल ही ऐसा था की हम इनकार न कर पाए…
ज़माने के डर से इकरार न कर पाए…
न थी जिनके बिना ज़िन्दगी मुनासिब…
छोड़ दिया साथ उन्होंने और हम सवाल तक न कर पाए…
एक सवाल का ही दायरा था..
हम पार कर न सके....
जो हो गए थे मन् ही मन् हमारे...
चाहकर भी उन्हें इजहार कर न सके..
तकदीर में था ही बिछड़ना हमे..
सोच कर कभी आगे बढ न सके...
आज भी मुकाम है उनका इतना ..
चाहकर भी आजतक नज़रे उठा न सके.
पाने से खोने का मजा और है..
बंद आंखों में रोने का मजा और है..
आंसू बने ग़ज़ल और इस ग़ज़ल में आप के होने का मज़ा कुछ और है...
खोज सको तो खोज लो अपने आप को मेरे शब्दों मैं
सिर्फ़ आप का ही नाम बिखरता जाता है
पलक

Tuesday, January 6, 2009

बेजुबान एहसास

जो करता है तुमसे प्यार
वो ही देता है तकलीफ हज़ार
उसके दिल में होता है
तुम्हारी हर बात के लिए इकरार
करो तुम चाहे उस से कितना भी इनकार
लगेगा वो तुम्हे प्यारा हर बार
रूठ जाओगे तोह मनायेगा वो
हर बात पर तुमसे करेगा तकरार
पर एक बार उस से कह कर देखना
जिंदगी भर करेगा तुम्हारा इन्तेज़ार
तुम्हारे हर दुःख को अपनाकर
देगा तुम्हे खुशियाँ हज़ार
करेगा तुम्हारी हिफाज़त कुछ वैसे ही
जैसे फूलों की हिफाजत कांटे करते है हर बार
पलक

Friday, December 26, 2008

Why`???

Why do you hope anything from someone?

Why someone, whom you trust most and to whom you look for support, never lies true to your expectations?

Why someone, whom you can never see upset, is always busy when you need him/her the most?



Why someone, whom you are always ready to hear, doesn't give you his/her ears when you want to talk to them?

Why???