
कोई ज़ख्म नही, ना कोई दर्द है ...
बस एक खामोशी सी इस दिल में है ...
कुछ गिला भी नही, कुछ खोया भी नही ...
बस एक अधूरापन इस दिल में है ...!!!!
ना कुछ कहने को है ...ना सुने को है...
सवाल भी अब नही मन मैं ..
भुलाना ही क्या किसी को जब वों याद ही नही ...
बस एक बेचेनी सी है इस दिल मै कहीं
चाँद से क्या कहू, अब तो कोई अँधेरा भी नही
ना दिन की तलाश है, ना रौशनी की कमी
ग़म, उदासी, कोई आंसू भी नही अब
तो फिर इस दिल को किस चीज़ की कमी सी है ....!!! ?
पलक .......