
यूँ जमाने मैं क्या नही होता,
बस तू ही मेहरबा नही होता ,
वो ही मिलना , वो ही हसना , वो ही बातें करना ,
दिन मैं कुछ भी नया नही होता ,
यूँ तो सिर्फ़ होती हैं तुजे सारे जमाने की ख़बर ,
सिर्फ़ इस दिल का पता नही होता ,
जुकती पलके तेरी चाहत की ख़बर देती हैं ,
इश्क फ़िर क्यों जावा नही होता ,
कहना ग़र मुस्किल हैं लब से, तो कोई बात नही ,
आखों से क्या क्या बयां नही होता ,
ऐसी देरी भी मुनासिब नही उल्फत के खेल मैं ,
वक्त का कुछ गुमा नही होता .....!!!!!!!!!!
पलक