हर बार उँगलियों को छू के ;
हाथ से फिसलता सपना;
हाथ से फिसलता सपना;
पास आके कोसो दूर
निकल जाने वाला सपना;
उम्मीद की हर डोर
हर बीते दिन पे
कमजोर बनने वाला सपना;
फिर भी हर नए दौर में
नई रोशनी देता सपना ..
इन आखों में सजता ये सपना;
जिंदगी को नया रूप रंग देता,
जीने के लिए एक मकसद देता,
फिर से टूटने के लिए
उभरता एक और नया सपना !!
पलक
3 comments:
अब हकीकत और सपने
हैं आप हमारे
जब भी सोचता हूँ
आप ही आते हो नज़र हमें
सोते जागते करते है
हम याद आपको
हर रात देखते है
सपने आपके
Pearl...
palak
sach mai har baat mai kuch khas hai . har ehsaas mai jasbbat dhadkta hai .
फिर से टूटने के लिए
उभरता एक और नया सपना !!
आपका सपना कभी न टूटे हमेशा खिलखिलाता रहे उन आँखों में और हकीक़त बनकर एक नए सवेरे की भांति सामने आए .....
बहुत
अच्छी अभिव्यक्ति........
अक्षय-मन
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