सहमी सी निगाहों मैं ख्वाब हम जगा देगे ,
इस दिल का चैन भी हम लुटा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो,
इन पलको मैं हमेशा के लिए तुम्हे पनाह देगे …
अपने खयालो के हर कोने मैं तुम्हे बसा लगे ,
फ़िर तो हम उस चाँद को भी भुला देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
हमारी तराह तुम्हे भी हम दीवाना बना देगे…
तन्हाई मैं तुम्हारी हम महफील सजा देगे ,
लबो पर तुम्हारी एक मुस्कान सजा देगे ,
तुम अपनी चाहत का इजहार जो करो ,
इस इजहार के इंतज़ार मैं हम जिन्दगी गुजार देगे …
***** पलक *****
2 comments:
Fantastic..
no words ...
Atharv
Palak this is really nice poem
keep posting..
Pankti
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