Wednesday, August 20, 2008

तेरी उल्फत


तेरी उल्फत का यकीं था
तेरी आने की उम्मीद थी ,
तेरे इंतज़ार मैं कटी फ़िर एक शाम जिन्दगी की …..


तेरी महोब्बत में हमने तो
भुला ये सारा जहाँ
दिल की हर एक धड़कन अब हमें लगती है अजनबी सी


सारे राह गिरते है , चलते चलते हम,
रहते है हम अक्सर ख्यालों मैं ये तेरे ,
लगता है ऐसे जैसे हमपर चली है कोई बेखुदी सी..


आवाज़ तेरी देती है हमे सुकून हरदम ,
चेहरा तेरा रहता है आखों मैं यु सनम ,
तेरे दर्द - ऐ - जुबानी मैं भी मिलती है एक खुशी सी …


सारे लम्हे बिखेर चुके है ,
तुज से यु जुदा हो ..


पर आज भी.... उनके कुछ निशाँ बाकि है जिन्दगी मैं ....


यु ही तेरी उल्फत का यकीं था .......... पलक

4 comments:

Anonymous said...

उल्फ़त की बात.. जो तुम पहले समझ जाती,
ना बहारों की महफ़िल.. हमें तन्हा तन्हा रुलाती
....

.....
नही डर इसका मुझको कि.. तुझे मैं पाऊँ या ना पाऊँ,
है डर इसका कि मुझको कि.. तुझको मैं भूल ना जाऊँ,

amul said...

Hi Pal ,

Bahut sundar...

Anonymous said...

Palak..
Palak..
PALAK..... lovely and beautiful same as u.. and ur thoughts..

Anonymous said...

"Love is that condition in which the happiness of another person is essential to your own."

Pearl...