Monday, May 3, 2010

तू है यही कहीं ......!!!!


जुड़ गयी जुड़ गयी तुझ से
यह मेरी ज़िन्दगी
मैंने तो पायी तुझ में मेरी हर ख़ुशी
कह गयी कह गयी मुझसे
खुद ये बातें तेरी
अक्सर खयालो में हूँ तेरे
मैं कहीं देखू मैं तुझे
लम्हा लम्हा हर पल अपने सीने में रखु
हर सुबह तुझसे मिलने की चाहत
में मैं जगु
एक तू ही तो है होठो की हसी
चेहरे का नूर तू


बस गयी बस गयी मुझे में अब
है ये बस गयी
साँसों से आये हर दम खुश्बो जो तेरी
छा गई छा गयी मुझ पे ये जो
हैं छ गयी
बदली है शायद ये तोह तेरे इश्क की
येही है मेरे दिल की हसरत पैह्रों
तुझसे बातें में करू
हो सारी बातें तुझ पे ख़तम
और तुझसे हो शुरू
फिर वक़्त भी यह रुक जाए
और हर पल तू साथ हो
पल

Waiting ...!


तुने जो ना कहा, मैं वो सुनती रही .....
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही
जाने किस की है लग गई है नज़र
इस शेहेर मै ना अपना ठिकाना रहा
दूर चाहत से मैंने तुम्हे चाहती रही
ना पाने की आस ना मिलने की उम्मीद
खामखा बेवजह ख्वाब बुनती रही ....

पलक
For U.....

Tuesday, January 26, 2010

Khamoshiyan


पिछले पहर की रात थी
तनहइयां और उसकी याद थी

चाँद ने मुझ से कहा कौन है ?
में ने कहा कोई खास नहीं

बोला ज़िन्दगी कैसी है ….????
में ने कहा कोई साथ नहीं

बोला फिर क्या चाहती हो….???
में ने कहा कोई आस नहीं

बोला तुमने प्यार किया है..???
में ने कहा कुछ याद नहीं

बोला तुम्हारे साथ भी धोका हुआ??
में ने कहा ऐसी कोई बात नहीं

बोला फिर एक बात कहूँ तुमसे..???
में ने कहा कोई ऐतेराज़ नहीं

बोला फिर …………..
तुने प्यार किया है जिस से अब वोह तेरे साथ नहीं......

और तू उस के प्यार मै जोगन बनी है......
मै ना कुछ बोल पायी बस खामोशियों ने बाते की .........
palak

Sunday, January 10, 2010

Tuesday, November 10, 2009

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,


ख्वाब तेरे सजाके बैठी है,

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,

एक ताज़ा ग़ज़ल जुदाई की ,

रात मुज को सुना के बैठी है ,

जिंदगानी की राह पैर हर सू,

बेबसी सर उठा के बैठी है ,

आँख बरसो से किस का गम यारों ,

आज तक यु छुपके बैठी है ,

एक अनजाना चेहरा उगली दातों तले,

जाने कब से दबाके बैठा है....


पलक


Tuesday, November 3, 2009

पूछु क्या तुज से ,अब ना मैं तेरी चाहत मैं शामिल....


मैंने उससे एक इशारा किया
उसने सलाम लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
उसने चाँद लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हे क्या चाहिए?
उसने सारा आसमान लिख के भेजा.
मैंने पूछा कब मिलोगे?
उसने कयामत की शाम लिख के भेजा.
मैंने पुछा किस से डरते हो?
उसने मुहब्बत का अंजाम लिख के भेजा
.
मैंने पूछा तुम्हे नफरत किस से है?
उसने..मेरा ही नाम लिख के भेजा…

Tuesday, October 27, 2009

बस तू ही तू....!!!!


किसी को इतना प्यार ना कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये

किसी के बारे मे इतना ना सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये

किसी को इतना याद ना कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा ना हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये