Tuesday, November 10, 2009

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,


ख्वाब तेरे सजाके बैठी है,

नीद पलकों पे आ के बैठी है ,

एक ताज़ा ग़ज़ल जुदाई की ,

रात मुज को सुना के बैठी है ,

जिंदगानी की राह पैर हर सू,

बेबसी सर उठा के बैठी है ,

आँख बरसो से किस का गम यारों ,

आज तक यु छुपके बैठी है ,

एक अनजाना चेहरा उगली दातों तले,

जाने कब से दबाके बैठा है....


पलक


Tuesday, November 3, 2009

पूछु क्या तुज से ,अब ना मैं तेरी चाहत मैं शामिल....


मैंने उससे एक इशारा किया
उसने सलाम लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
उसने चाँद लिख के भेजा.
मैंने पूछा तुम्हे क्या चाहिए?
उसने सारा आसमान लिख के भेजा.
मैंने पूछा कब मिलोगे?
उसने कयामत की शाम लिख के भेजा.
मैंने पुछा किस से डरते हो?
उसने मुहब्बत का अंजाम लिख के भेजा
.
मैंने पूछा तुम्हे नफरत किस से है?
उसने..मेरा ही नाम लिख के भेजा…

Tuesday, October 27, 2009

बस तू ही तू....!!!!


किसी को इतना प्यार ना कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये

किसी के बारे मे इतना ना सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये

किसी को इतना याद ना कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा ना हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये

Thursday, July 23, 2009

दर्द की बारिश ..!!!


दर्द की बारिश मद्धम सही .... ज़रा आहिस्ता चल
दिल की मिट्टी है अभी तक नम .... ज़रा आहिस्ता चल

तेरे मिलाने और फिर तेरे बिछार जाने के बीच
फासला रुसवाई का है कम .... ज़रा आहिस्ता चल

अपने दिल में नहीं है उस की महरूमी की याद
उस की आंखों में भी है शबनम .... ज़रा आहिस्ता चल

कोई भी हो हम-सफर न हो खुश इस कदर
अब के लोगों में वफ़ा है कम .... ज़रा आहिस्ता चल

Wednesday, July 22, 2009


गिनते भी कैसे करू उन बूंदूं की !

जो आंसू की धार बह गए!

हिसाब रख भी लेतें उस वक्त का….

अगर तोलकर मुहोब्बत करना आता हमें!

वोह छोड़ गए इस बात से ज्यादा….

वोह यादें तकलीफ देती है हमें!

वोह वफ़ा के वादें न करते,

तोह बेवफाई से शिकायत न होती!

दिल से चाह था उन्हें,

हर हुक्म को सराहा!

जो की उन्होंने गुजारिश जुदाई की,

तो हम करीब उनके रहते भी कैसे...


दर्द ...!!!!



आँसू-ओं के चलने की आवाज़ नही होती,
दिल के टूट ने की आहात नही होती,
अगर होता खुदा को हर दर्द का एहसास,
तो उसे दर्द देने की आदत नही होती!

Tuesday, July 14, 2009

ना अब वों राह है..ना अब वों हम…!!!

बदल सा गया कुछ, ना रहे अब वों हम
खो गए ख्याल, टूट गई है कलम

चलते चलते लिया वक्त ने यूँ मोड़
जा रहे थे कहीं, चल दिए कहीं हम

ना कहने को कुछ, ना सुनने की ख्वाहिश
हर जज्बे से खाली जैसे अब हुए हम

अस्खों का समुन्दर उमड़ रहा है दिल मैं
खुश्क हैं लेकिन, नहीं हैं आँखें नम

खो रहे हैं पुराने, जुड़ रहे नए रिश्ते
ना अब वों राह है॥ ना अब वों हम.....
पलक