Wednesday, July 22, 2009


गिनते भी कैसे करू उन बूंदूं की !

जो आंसू की धार बह गए!

हिसाब रख भी लेतें उस वक्त का….

अगर तोलकर मुहोब्बत करना आता हमें!

वोह छोड़ गए इस बात से ज्यादा….

वोह यादें तकलीफ देती है हमें!

वोह वफ़ा के वादें न करते,

तोह बेवफाई से शिकायत न होती!

दिल से चाह था उन्हें,

हर हुक्म को सराहा!

जो की उन्होंने गुजारिश जुदाई की,

तो हम करीब उनके रहते भी कैसे...


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