Friday, March 4, 2011

जिन्दगी... !!!






एहसासों का कोई रूप नहीं होता..
जज्बातों की कोई शक्ल नहीं होती..
यूंही चलती जाती है जो बेमतलब सी..
वो ज़िन्दगी कोई ज़िन्दगी नहीं होती..
धुल भरी राहों पे चलके क़दमों ने है जाना..
हर एक राह की कोई मंजिल नहीं होती..
ना जाने कितनी सांसें बंद कमरों में हैं घुटती..
सांस लेना ही तो बस ज़िन्दगी नहीं होती..
मेरी आँखों से छलकता है कभी उनके दर्द का पानी..
जिनकी आँखों के रेतीले मरू में नमी नहीं होती..
धन्य है उनकी सहनशक्ति तो सही जाए हैं..
कभी किसी चोट पे उनके मुह से ‘उफ़‘ भी नहीं होती..
मेरे गुनाहों को गिनाने वालों थोडा सब्र करो..
नियति के घर देर है पर अंधेर नहीं होती..
जाने कैसी हैं ये ख्वाहिशें जीने की ,जीते जाने की..
आँखें सच देख के भी नहीं सोतीं..

2 comments:

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar abhivyakti

Raj said...

Ohh palak,

aapki rachna dil ko chhhu gayi...kitna ghehra sochti ho aap!

ise padh ke ek bahut sundar gaana yaad aa gaya....

"Madhuban khushboo deta hai...jine uska jina hai jo auro ko jeevan deta hai..."

ishwar aapko humesha yuhi likhne ki PRERNA deta rahe....