दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसे लगेगी
ख्वाबो मै जैसा मैंने देखा तू बिलकुल वैसी लगेगी
गोरे हाथो मै मेहँदी भी बड़ी गहरी चढ़ेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू बिलकुल परी सी लगेगी
होश खो जायेगे तेरा दीदार करने वालो के
जब तेरे माथे की बिंदिया तेरे जैसी चमकेगी
जब तेरे हाथो मै चुडिया खनकेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू क़यामत लगेगी
सज कर आयेगी जब तू सब के रूबरू
ज़माने की नज़र तेरा पीछा करेगी
काजल को अखो मै सजा कर निकलना
इस से तू बुरी नज़र से बचेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू हसीं लगेगी
शर्म - ऐ - हया से जब तू मुज को देखेगी
ना रह पाऊंगा तुजे देखे बिन
उस रात ये आख कैसे लगेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसी लगेगी
3 comments:
kya khub kaha hai Pallu... this is so really true and lovely...
~Pearl...
ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच इसे आनद रस में डुबो गए..
bahut sundar "rachna" hai aapki...ek dulhan se ki jaanewali "ummid" ko aap ne sabdo mein dhaala hai....shayd kuchh baki hi na raha ho jeise!!!
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