Wednesday, November 17, 2010

क्या इसे जिन्दगी कहते है..?


दिल मेरा पूछता है ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है

जरा मुड के देख यहाँ


ना त्यौहार सँभालते है ना सम्बन्ध संभलते है

दिवाली हो या होली सब ऑफिस मै ही अब मनाते है

ये सब तो ठीक है पर हद वहा होती है

शादी के कार्ड मिलने पर गोद भराई मै भी शायद ही जा पाते है

दिल पूछता है ऐ मेरा , ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है


है तो पाच शून्य का पगार पर खुद के लिए पाच मिनट भी कहा है

पत्नी का फ़ोन पाच मिनट मै काटते है पर क्लाइंट का फ़ोन कहा काट पाते है

फोनेबूक भरी है दोस्तों से पर किसी के घर कहा जा पाते है

अब तो घर के फंक्शन भी हाफ डे मै मानते है

दिल पूछता है मेरा , ऐ दोस्त तू कहा जा रहा है


किसी को पता नहीं ये रास्ता कहा जा रहा है

थके ही सब मगर सब वाही जा रहे है

किसी को सामने रुपिया तो किसी को डोलर दीखता है

आप ही कहिये दोस्तों क्या इसे जिन्दगी कहते है


पलक



Friday, November 12, 2010


जो आपने ना लिया हो, ऐसा कोई इम्तहान ना रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान ना रहा,

है कोई बस्ती, जहा से ना उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान ना रहा,

हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
ना हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान ना रहा,

जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान ना रहा,

जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान ना रहा !




Monday, October 25, 2010

खता ....!!!!


हम तुम मिले कोई मुश्किल ना थी
पर इस सफ़र की मंजिल ना थी
तुम से कभी जुड़ ना पायेगे
ये सोच के दूर तुम से हुए

हालात ही कुछ ऐसे थे
की रुखसत लेनी पड़ी
वरना
हम बेवफा हरगिज़ ना थे
तुम माफ़ कर दो
यही गुज़ारिश है

ये मज़बूरी का किस्सा
जब तुम सुनोगे
तो शयद तुम समज पाओ
की
क्यों हुए ये खता हम से
पलक

Monday, October 11, 2010

कब बदलता है ....जो कही दिल मै जिन्दा है ....


मुसाफिर तो बिछड़ते हैं
रफ़्तार कब बदलती है
मुहब्बत जिंदा रहती है
मुहब्बत कब बदलती है
तुम्ही को चाहते हैं और
तुम्ही से प्यार करते हैं
ये है बरसों की आदत और
आदत कब बदलती है

Tuesday, September 28, 2010


मेरी आँखों में मत देखो वर्ना नींद चुरा लुंगी
न दिल के करीब आओ वरना मोहबात सिखा दूंगी ,
गहरा हे आपसे रिश्ता इतना,
ख्वाबो में भी आये तो अपना बना लुंगी ...!

Wednesday, September 22, 2010

तुम तो नहीं हो...!!!


सुन ली जो खुदा ने दुआ,
वो तुम तो नहीं हो,

दरवाजे पे दस्तक की सदा,
तुम तो नहीं हो,

सिमटी हुई, शरमाई हुई रात की रानी,
सोई हुई कलियों की हया,
तुम तो नहीं हो,

महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें,
भीगे हुए मौसम की अदा,
तुम तो नहीं हो,

इन् अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा,
किस ने मुझे यु अपना कहा,
तुम तो नहीं हो...!!!

Friday, September 17, 2010

પ્રેમ .....!!!!!


શું તને ખબર છે ??

આભ માં થી જે ઝર મર ઝર મર વરસે છે

પછી વાદળ બની જે ધોધમાર વરસે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

હુફળી સવાર ના આકાશ માં જે ચમકે છે

ને રાતે શીતલ ચાંદની બની દમકે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

ખીલતી વસંત માં જે સુવાસ બની મેહ્કે છે

મૌસમ માં જે ચેહક ચહેકે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

ચંદ ચકોરી ને ફૂલ ભમરા ની જે પ્રીત છે

નદી ના વહેં માં વહેતું જે સંગીત છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

કઈ કેટલીયે વેદનાઓ જે હસતા મુખે સહે છે

ને તારી રાગ રાગ માં જે લોહી બની વહે છે

એ મારો જ તો પ્રેમ છે


શું તને ખબર છે ?

કઈ છૂપો નથી આખી દુનિયા ની એ સામે છે

છતાં જનમ જનમ થી જે ફક્ત તારા નામે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે


આવ તને મળવું એનાથી શું તું એને ઓળખે છે

જે તારાથી પણ વધુ તને ઓળખે છે

એ મારો જ પ્રેમ છે ...