तेरे होठों की हसी बनने का ख्वाब है
तेरे आगोश मैं सिमट जाने का ख्वाब है
तू लाख बचा ले दामन इश्क के हाथो
असमान बन कर तुजे पर छाने का ख्वाब है
आज़माइश यु तो अच्छी नहीं होती इश्क की
तू चाहे तो तेरी तकदीर सजाने का ख्वाब है
वो मौत भी लौट जाये तेरे दरवाजे पे आ कर
तुजे ऐसे जिन्दगी देने का ख्वाब है
जी भी लगे अगर जीना पड़े तेरे बिना
लेकिन एक बार तुज पर मर मिटने का ख्वाब है
3 comments:
Wow!!
"जी भी लगे अगर जीना पड़े तेरे बिना लेकिन एक बार तुज पर मर मिटने का ख्वाब है"
sach mein Palak...bahut usndar likha hai aapne.....
waah... बहुत खुबसूरत सोच है... बेहतरीन...
beautiful post. THis poem touched my heart,
excellent write!
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