Monday, December 27, 2010

ग़ालिब के चंद लव्ज़ .... !!


ना था मैं तो खुदा था ,
कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
मिटाया मुझ को होने ने,
ना होता मैं तो क्या होता

दिल से तेरा ख्याल ना जाये तो क्या करू
तू ही बता .... एक तू ही याद ए तो क्या करू
हसरत ये है की तुजे एक नज़र देख लू
किस्मत अगर वो दिन ना लाये तो क्या करू


हर बात पर कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्ही बताओ यह अंदाज़-इ-गुफ्तगू क्या है
रगों मै दौड़ाने के हम नहीं कायल
जो आँख ही से ना टपका वोह लहू क्या है

दिल-ऐ -नादाँ तुझे हुआ क्या है ?आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वोह बेजार्य इलाही ! यह माजरा क्या है ?



मेरा एहसास ....!


दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसे लगेगी
ख्वाबो मै जैसा मैंने देखा तू बिलकुल वैसी लगेगी
गोरे हाथो मै मेहँदी भी बड़ी गहरी चढ़ेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू बिलकुल परी सी लगेगी

होश खो जायेगे तेरा दीदार करने वालो के
जब तेरे माथे की बिंदिया तेरे जैसी चमकेगी
जब तेरे हाथो मै चुडिया खनकेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू क़यामत लगेगी


सज कर आयेगी जब तू सब के रूबरू
ज़माने की नज़र तेरा पीछा करेगी
काजल को अखो मै सजा कर निकलना
इस से तू बुरी नज़र से बचेगी
दुल्हन के लाल जोड़े तू हसीं लगेगी


शर्म - ऐ - हया से जब तू मुज को देखेगी
ना रह पाऊंगा तुजे देखे बिन
उस रात ये आख कैसे लगेगी
दुल्हन के लाल जोड़े मै तू ना जाने कैसी लगेगी




Friday, December 24, 2010

कसक .... !




तेरी तस्वीर मेरी आँखों में बसी क्यूँ है
जिधर देखो बस उधर तू ही क्यूँ है

तेरी तकदीर से जुडी मेरी तकदीर है लेकिन
तुझे ना पा कर मेरी तकदीर रूठी क्यूँ है

मुझ को है खबर यु आसान नहीं तुझे हासिल करना
फिर भी यह इन्तिज़ार यह बेकरारी क्यूँ है

बरसों गुज़र गए मेरे तन्हाई में लेकिन
मेरी बांहों को आज भी तेरा इन्तिज़ार क्यूँ है

तेरी चाहत की कसम सहे मैंने हर इलज़ाम -ऐ - इश्क
अब नहीं है कुछ बाकी फिर यह जान बाकी क्यूँ है

ख़तम हुआ अब मेरा यह अफसाना एक बात बतादू लेकिन
अंजाम - ऐ - इश्क है मालूम मुझे फिर यह मुहब्बत क्यूँ है

Wednesday, December 22, 2010

संवेदना...!


उस कि याद मै गुज़रति मेरी हर शाम थी
मेरे दिल से निकलि हर दुआ उस के नाम थी
अब मुजे इल्ज़ाम् न दो बेवफा का यारो
मेरे हाथो कि लकिरो मै वफ़ा आम थी
क़दर् पूछो उनसे जो करते है महोब्बत कि पूजा
सिर्फ़ उसके शेहेर मै मोब्बत मेरी बदनाम थी
palak