सुन ली जो खुदा ने दुआ,
वो तुम तो नहीं हो,
वो तुम तो नहीं हो,
दरवाजे पे दस्तक की सदा,
तुम तो नहीं हो,
सिमटी हुई, शरमाई हुई रात की रानी,
सोई हुई कलियों की हया,
तुम तो नहीं हो,
महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें,
भीगे हुए मौसम की अदा,
तुम तो नहीं हो,
इन् अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा,
किस ने मुझे यु अपना कहा,
तुम तो नहीं हो...!!!
1 comment:
bhaut umda rachna.
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