मेरी तम्मनाये करे कब तक इंतजार कोई भी दुआ इसे गले क्यों नही लगती,
अगर हो जाती मुरादें पल मैं पुरी ....
तो मुरादें नही ख्वाहिसे कहलाती....
Friday, June 19, 2009
लबों पर खामोशी ने एक डेरा डाला है गिरते हुए अश्कों को सन्नाटे ने संभाला है ये दिल पत्थर बन गया पर प्यार निभाना जानता है एक बेवफा से प्यार है ,ये एहसास पुराना जानता है ॥
2 comments:
ये दिल पत्थर बन गया पर प्यार निभाना जानता है
फ़ोटो चयन उम्दा है वह स्वयं में कविता है
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